सबगुरु न्यूज। राजस्थान की सियासत में तीन दिनों से चली आ रही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की लड़ाई का पटाक्षेप हो गया। सोमवार देर शाम तक कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों के बीच समझौता हो सकता है, मंगलवार सुबह से राजस्थान की सियासत और तेज हो गई। सुबह मुख्यमंत्री गहलोत ने विधायक दल की बैठक बुलाई थी। बैठक में राजस्थान में जारी सियासी खींचतान में मंगलवार को बड़ा उलटफेर हुआ। कांग्रेस पार्टी ने सचिन पायलट पर एक्शन लेते हुए उन्हें उपमुख्यमंत्री पद और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया है।
साथ ही सचिन पायलट के समर्थन वाले मंत्रियों को भी हटा दिया गया है। सचिन पायलट के लिए कांग्रेस के दरवाजे अब बंद हो गए हैं। इसी इंतजार में बैठी भाजपा ने अपने सभी दरवाजे खोल दिए हैं। राजस्थान की सियासत में मची उठापटक के बाद भाजपा को भी अब अपनी हिस्सेदारी सत्ता में दिखने लगी है। कांग्रेस में सचिन पायलट की विदाई के बाद भाजपा भी मुखर हो गई है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और उपाध्यक्ष ओम माथुर ने बाकायदा कह दिया है कि सचिन पायलट के लिए पार्टी में दरवाजे खुले हुए हैं। यही नहीं भाजपा आलाकमान अब राजस्थान में सत्ता हासिल करने के लिए गुणा-भाग करने में जुट गया है।
कांग्रेस के कई नेताओं ने सचिन पायलट को मनाने की कोशिश की
कांग्रेस के बड़े नेता सचिन पायलट को मनाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन वे नहीं माने। दिल्ली से जयपुर पहुंचे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सचिन पायलट और कांग्रेस के कुछ मंत्री और विधायक साथी भाजपा के षडयंत्र में उलझकर कांग्रेस की सरकार को गिराने की साजिश में शामिल हो गए। उन्होंने कहा सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत कांग्रेस के आला नेतृत्व ने सचिन पायलट से साथी मंत्रियों से, विधायकों से संपर्क करने की कोशिश की।
दूसरी ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया सचिन पायलट को भाजपा में लाने के लिए कई दिनों से प्रयास करने में लगे हुए हैं। मंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बीच सचिन पायलट ने ट्वीट करके कहा कि सत्य को परेशान किया जा सकता है, पराजित नहीं। इसके साथ ही सचिन पायलट ने अपने ट्विटर बॉयो से डिप्टी सीएम हटा दिया।
राज्य की सत्ता हासिल करने के लिए सचिन और भाजपा के लिए यह रास्ते हो सकते हैं
कांग्रेस पार्टी के सभी पदों से निकाले जाने के बाद सचिन पायलट के लिए अब जो रास्ते बचे हैं वह इस प्रकार है। वह अभी तक दावे करते रहे हैं कि उनके पास 25 या 30 विधायकों का समर्थन हासिल है। इन्हीं को लेकर और कुछ निर्दलीय विधायकों को साथ में लेकर एक नया दल राज्य में बना सकते हैं, या सचिन पायलट भाजपा ज्वाइन कर ले। वैसे यहां हम आपको बता दें कि पायलट के भाजपा में जाने के आसार ज्यादा दिख रहे हैं। अब आगे सचिन पायलट और भाजपा की गहलोत के विधायकों को तोड़ने की पूरी कोशिश रहेगी।
गौरतलब है कि अभी गहलोत के पास अपनी सरकार बचाने के लिए पर्याप्त संख्या बल है। दूसरी ओर शिवसेना ने राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को अस्थिर करने में भाजपा को जिम्मेदार बताया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि गलवान में सैनिकों की शहादत को भूलकर भाजपा राजस्थान में खरीद-फरोख्त में लगी है। एक ओर जहां देश कोरोना संकट से जूझ रहा है। वहीं भाजपा ने कुछ अलग ही उपद्रव मचाया हुआ है। पहले भाजपा ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिराई थी अब राजस्थान में गहलोत की सरकार गिराने में लगी हुई है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार