नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने निर्वाचन आयोग से मांग की है कि पश्चिम बंगाल में सत्ता धारी तृणमूल कांग्रेस सरकार की ओर से नगर निकायों में नियुक्त किए गए प्रशासकों को उनके पद से तुरंत हटाया जाए।
भाजपा नेताओं के एक प्रतिनिधि मंडल ने गुरुवार को यहां इस माँग से सम्बंधित एक ज्ञापन आयोग को सौंपा। भाजपा की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल के 135 में से 125 नगर निकायों का पांच साल का कार्यकाल पिछले साल अप्रैल-मई में पूरा हो चुका है। इसके बावजूद चुनाव में हार के डर से तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल की सरकार ने इन निकायों में चुनाव नहीं करवाए ।
भाजपा ने कहा कि पश्चिम बंगाल निगम क़ानून 1993 के 14 (4) में प्रावधान है कि किसी कारण वश तय समय पर चुनाव ना करा पाने की स्थिति में निकाय को भंग माना जाएगा और चुनाव की घोषणा होने तक क़ानून की धारा 431 राज्य सरकार को निकाय के प्रशासन का अधिकार देती है। इसी प्रावधान का दुरुपयोग करते हुए राज्य सरकार ने असंवैधानिक तरीक़े से निकायों में प्रशासक के तौर पर तृणमूल कांग्रेस से जुड़े नेताओं की नियुक्ति करके निकायों में अप्रत्यक्ष क़ब्ज़ा कर लिया है।
भाजपा ने ज्ञापन में कहा है कि निकायों में चुनाव कराने की बजाए पार्टी से जुड़े राजनीतिक व्यक्तियों की नियुक्ति अवैध है, लिहाज़ा आयोग उन्हें तुरंत प्रभाव से हटाए। भाजपा ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस विधानसभा चुनावों में इन प्रशासकों के ज़रिए चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश करेगी।
भाजपा ने आयोग से अपील की कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद आदर्श आचार संहिता लागू है, लिहाज़ा राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए निकायों में प्रशासक के पदों पर बैठे तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को हटाया जाना ज़रूरी है।
निर्वाचन आयोग को ज्ञापन देने वाले भाजपा के प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, पार्टी के महामंत्री भूपेन्द्र यादव, पार्टी के नेता नेता ओम पाठक, शिशिर बाज़ोरिया, संजय मयूख और नीरज कुमार शामिल थे।