नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की विवादित फोटो सोशल मीडिया पर वायरल किए जाने के मामले में गिरफ्तार भारतीय जनता युवा मोर्चा की कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा की रिहाई में विलम्ब को लेकर राज्य सरकार एवं कोलकाता पुलिस को बुधवार को आड़े हाथों लिया।
न्यायालय ने राज्य सरकार को कल ही प्रियंका शर्मा (25)को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया था, लेकिन प्रियंका के वकील नीरज किशन कौल ने न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अवकाशकालीन खंडपीठ को अवगत कराया कि आदेश की सत्यापित प्रति नहीं मिलने का आधार बनाकर प्रियंका को रिहा नहीं किया गया।
राज्य सरकार की वकील आस्था शर्मा ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि प्रियंका को सुबह पौने 10 बजे रिहा किया गया।
न्यायालय, हालांकि शर्मा की दलीलों से संतुष्ट नजर नहीं आया। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि उसे (प्रियंका शर्मा को) आधे घंटे के अंदर रिहा कर दिया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यदि प्रियंका को रिहा नहीं किया जाता तो न्यायालय अवमानना का मामला शुरू करता। न्यायालय ने टिप्पणी की कि प्रियंका की गिरफ्तारी प्रथमदृष्ट्या एकतरफा और निरंकुश थी।
प्रियंका की रिहाई की पुष्टि हो जाने के बाद कौल ने न्यायालय को सूचित किया कि भाजयुमो की इस कार्यकर्ता को रिहाई से पहले ही माफीनामा पर हस्ताक्षर करा लिया गया था। पुलिस की ओर से तैयार माफीनामे के मसौदे पर प्रियंका का जबरन हस्ताक्षर न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है।
गौरतलब है कि प्रियंका ने सोशल मीडिया पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मीम वाली तस्वारें साझा की थीं। तृणमूल कांग्रेस के नेता विभास हाजरा की शिकायत पर उन्हें 10 मई को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि) और सूचना प्रौद्योगिकी कानून की कुछ धाराओं का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
प्रियंका शर्मा ने राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था। प्रियंका की ओर से उनके परिवार ने प्राथमिकी रद्द करने और जमानत पर रिहा करने की अर्ज़ी न्यायालय में लगाई थी।