भरूच। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात के भरूच लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद और अग्रणी आदिवासी नेता मनसुख वसावा ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र की पेशकश संबंधी अपना पत्र आज मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और वन मंत्री गणपत वसावा से मुलाक़ात के बाद वापस ले लिया।
वसावा ने कल इस्तीफ़े की पेशकश वाला पत्र प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के अध्यक्ष सीआर पाटिल को भेजकर राजनीतिक हलकों सनसनी मचा दी थी उन्होंने यह भी दावा कर दिया था कि वह संसद के आगामी बजट सत्र के दौरान सदन की सदस्यता से भी इस्तीफ़ा दे देंगे। मुख्यमंत्री से लगभग एक घंटे तक मुलाक़ात के बाद उन्होंने कहा कि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से दिया अपना इस्तीफ़ा वापस ले लिया है।
छह बार सांसद और मंत्री रह रह चुके वसावा ने कुछ समय पहले अपने संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले पड़ोसी नर्मदा ज़िले के 121 आदिवासी बहुल गांवों को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र घोषित किए जाने का खुलेआम विरोध किया था। स्थानीय किसानो ने भी इस मुद्दे पर सरकारी निर्णय के प्रति नाराज़गी व्यक्त की थी।
उन्होंने इस सम्बंध में मोदी को पत्र भी लिखा था। उन्होंने पार्टी से अपना त्यागपत्र गुजरात भाजपा के अध्यक्ष सीआर पाटिल को भेजा था और बाद में पत्रकारों से कहा था कि वह अपने फ़ैसले पर अडिग रहेंगे। उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। अपने त्यागपत्र में उन्होंने लिखा था कि वह नहीं चाहते कि उनकी किसी भूल से पार्टी को नुक़सान उठाना पड़े।
हालांकि पाटिल ने दावा किया था कि वसावा का इस्तीफ़ा उन्होंने स्वीकार नहीं किया है और उनके जैसे वरिष्ठ नेता की भावनाओं को चोट नहीं पहुचने दी जाएगी।