गुवाहाटी। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आंच से असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल भी नहीं बच पाए क्योंकि सोमवार को जाेरहाट जिले के सिन्नामारा में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान उन्हें काला झंडा दिखाया गया।
सोनोवाल के साथ सरकारी समारोह में केंद्रीय मंत्री रामेश्वर तेली, अन्य मंत्री, सांसद और सरकारी अधिकारी भी मौजूद थे। इस बीच बैठक में एक युवक ने काला झंडा दिखाया। समारोह में तैनात सुरक्षाकर्मियों के युवक से काला झंडा छीनने तथा समारोह स्थल से दूर ले जाने से पहले युवक ने ‘जय हमारा असम’ के नारे भी लगाए।
मुख्यमंत्री जब सिनामारा चाय बगान में आयोजित एक किसान सभा में भाग ले रहे थे तो यह घटना हुई। उन्होंने चाय बगान में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की आधारशिला भी रखी। इस महीने की शुरूआत से ही सीएए एवं एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के तेज होने के साथ ही मुख्यमंत्री को विभिन्न स्थानों पर काले झंडे दिखाए गए हैं। सीएए के बनने पर उसे लोगों के समान प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था।
इस साल जनवरी में नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से सीएबी को संसद में प्रस्तुत करने के दौरान भी सोनोवाल को ऐसे ही विरोध का सामना करना पड़ा था। इस बीच ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) एवं अन्य संगठनों के बैनर तले सीएए एवं एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन जारी हैं।
सीएए के खिलाफ कड़े प्रतिरोध को दोहराते हुए लोकप्रिय कलाकारों ने भी छात्रों, युवाओं, राजनीतिक नेताओं और नागरिक समाज संगठन के साथ मंच साझा किए हैं। असम नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) 2019 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की चपेट में है।
सीएए में उन हिंदू, ईसाई, पारसी, सिख, जैन एवं बौद्धों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है जो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के नागरिक हैं और 31 दिसंबर 2014 से पहले बिना किसी दस्तावेज के भारत में प्रवेश कर चुके हैं।
उत्तर पूर्वी राज्यों विशेषकर असम और त्रिपुरा समेत पूर्वाेत्तर के लोग सीएए को खरिज करने की मांग कर रहे हैं क्योंकि उन्हें बंगलादेश के बड़ी संख्या में गैर मुस्लिमों के भारतीय नागरिकता लेने का भय सता रहा है।