बॉलीवुड में नाना पाटेकर उन चंद अभिनेताओं में से हैं जिनको दर्शक थिएटर में इसलिए देखने जाते हैं कि उनके बेहतरीन अभिनय के साथ उनकी डायलॉग्स सुनने को मिलेंगे। नाना पाटेकर को अभिनेताओं से कुछ हटकर अभिनय करने के लिए फिल्म इंडस्ट्रीज में जाना जाता है। नाना जितने बड़े स्टार हैं उतने ही निजी जिंदगी में भी उनकी सादगी लोगों को बहुत भाती है। आज यानी 1 जनवरी को नाना पाटेकर का जन्मदिन पड़ता है।
हिंदी सिनेमा में अपने अभिनय के अनोखे अंदाज के लिए मशहूर अभिनेता नाना पाटेकर के दीवाने बच्चे, जवान और बूढ़े सब हैं। नाना ने जिस भी फिल्म को किया उस पर अपनी मुहर लगा दी। फिल्मों में बोले गए उनके संवाद उनके तरीके से बोलने के लिए आज भी लोग शर्तें लगाते हैं, और उनके जैसा हुनर पाने की कोशिश करते हैं। नाना ने अपने फिल्मी करियर में हिंदी और मराठी के अलावा भारत की कई और दूसरी भी भाषाओं में काम किया है।
उन्होंने अपने अभिनय के दम पर चार फिल्मफेयर और तीन राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड जीते हैं। हिंदी सिनेमा में अब तक सिर्फ नाना ही ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने मुख्य कलाकार, सह कलाकार और नकारात्मक भूमिका में भी फिल्मफेयर अवार्ड जीता है। आज हम आपको नाना पाटेकर के फिल्मी सफर और निजी जिंदगी के बारे में बताने जा रहे हैं।
1 जनवरी 1951 को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में हुआ था जन्म
बॉलीवुड अभिनेता नाना पाटेकर का जन्म 1 जनवरी 1951 को महाराष्ट्र के जनपद रायगढ़ के छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता दनकर पाटेकर चित्रकार थे। नाना ने मुंबई के जेजे स्कूल आफ ऑर्टस से पढ़ाई की। इस दौरान वे कॉलेज द्वारा आयोजित नाटकों में हिस्सा लिया करते थे। नाना पाटेकर को स्केचिंग का भी शौक था और वह अपराधियों की पहचान के लिए मुंबई पुलिस को उनकी स्केच बनाकर दिया करते थे।
1984 में नाना पाटेकर ने फिल्म करियर की शुरुआत की थी
वर्ष 1984 में प्रदर्शित फिल्म आज की आवाज बतौर अभिनेता नाना पाटेकर ने राज बब्बर के साथ काम किया। यह फिल्म पूरी तरह बब्बर पर केंद्रित थी फिर भी नाना सधे हुए किरदार निभाकर अपने अभिनय की छाप छोडने में कामयाब रहे। हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित नहीं हुई। नाना को प्रारंभिक सफलता दिलाने में निर्माता-निर्देशक एन. चंद्रा की फिल्मों का बड़ा योगदान रहा। उन्हें पहला बड़ा ब्रेक फिल्म अंकुश 1986 से मिला। इस फिल्म में नाना पाटेकर ने एक ऐसे बेरोजगार युवक की भूमिका निभायी जो काम नहीं मिलने पर समाज से नाराज है और उल्टे सीधे रास्ते पर चलता रहता है।
अपने इस किरदार को नाना पाटेकर ने इतनी संजीदगी से निभाया कि दर्शक उस भूमिका को आज भी भूल नही पाए हैं। इसे महज एक संयोग कहा जायेगा कि इसी फिल्म से एन चंद्रा ने बतौर निर्माता और निर्देशक अपने सिने करियर की शुरुआत की थी। वर्ष 1987 में नाना पाटेकर को एन.चंद्रा की ही फिल्म प्रतिघात में भी काम करने का अवसर मिला। यूं तो पूरी फिल्म अभिनेत्री सुजाता मेहता पर आधारित थी लेकिन नाना ने इस फिल्म में एक पागल पुलिस वाले की छोटी सी भूमिका निभाकर अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मनवा लिया।
वर्ष 1989 में आई फिल्म ‘परिंदा’ से नाना पाटेकर बॉलीवुड में छा गए थे
वर्ष 1989 में प्रदर्शित फिल्म परिन्दा नाना पाटेकर के सिने करियर की हिट फिल्मों में शुमार की जाती है। विधु विनोद चोपड़ा निर्मित इस फिल्म में नाना पाटेकर ने मानसिक रूप से विक्षिप्त लेकिन अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह की भूमिका निभाई जो गुस्से में अपनी पत्नी को भजदा आग में जलाने से भी नहीं हिचकता। अपनी इस भूमिका को नाना पाटेकर सधे हुये अंदाज में निभाकर दर्शको की वाहवाही लूटने में सफल रहे।
के बाद वर्ष 1991 में प्रहार वर्ष 1992 में प्रदर्शित फिल्म तिरंगा बतौर मुख्य अभिनेता नाना पाटेकर के सिने कैरियर की पहली सुपरहिट फिल्म साबित हुई। निर्माता -निर्देशक मेहुल कुमार की इस फिल्म में उन्हें संवाद अदायगी के बेताज बादशाह राजकुमार के साथ काम करने का मौका मिला लेकिन नाना पाटेकर ने भी अपनी विशिष्ट संवाद शैली से राजकुमार को अभिनय के मामले में कड़ी टक्कर देते हुए दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
फिल्म ‘खामोशी’ में नाना के अभिनय को दर्शकों ने सराहा
वर्ष 1996 मे प्रदर्शित फिल्म खामोशी में उनके अभिनय का नया आयाम दर्शकों को देखने को मिला। इस फिल्म में उन्होंने अभिनेत्री मनीषा कोईराला में गूंगे पिता की भूमिका निभाई। यह भूमिका किसी भी अभिनेता के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। बगैर संवाद बोले सिर्फ आंखों और चेहरे के भाव से दर्शकों को सब कुछ बता देना नाना पाटेकर की अभिनय प्रतिभा का ऐसा उदाहरण था। जिसे शायद ही कोई अभिनेता दोहरा पाए।
वर्ष 1999 में नाना पाटेकर को मेहुल कुमार की ही फिल्म कोहराम में भी काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में उनके अभिनय के नये आयाम देखने को मिले। फिल्म में उन्हें सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ पहली बार काम करने का मौका मिला। फिल्म में अमिताभ बच्चन और नाना पाटेकर जैसे अभिनय की दुनिया के दोनों महारथी का टकराव देखने लायक था।
नाना पाटेकर की यह रही हिट फिल्में
नाना पाटेकर की अभिनीत कुछ अन्य उल्लेखनीय फिल्में है। आवाम, अंधा युद्ध, सलाम बॉम्बे, थोड़ा सा रूमानी हो जाए, राजू बन गया जेंटलमैन, अंगार, हम दोनों, अग्निसाक्षी, गुलामे मुस्तफा, यशंवत, युगपुरुष, क्रांतिवीर, वजूद, हूतूतू, गैंग, तरकीब, शक्ति, अब तक छप्पन अपहरण, ब्लफ मास्टर, टैक्सी नंबर नौ दो ग्यारह हैट्रिक, वेलकम, राजनीति द अटैक ऑफ 26/11, वेलकम बैक आदि फिल्मों ने नाना पाटेकर का फिल्म इंडस्ट्रीज में खास पहचान दी। अभी कुछ साल पहले नाना पाटेकर साउथ की फिल्म में रजनीकांत के साथ ‘काला’ में नजर आए थे।
बेहतरीन अभिनय के लिए नाना पाटेकर को कई बार पुरस्कृत किया गया
नाना पाटेकर को अब तक चार बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। नाना पाटेकर को तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। नाना पाटेकर उन गिने चुने अभिनेताओं में एक है जो फिल्म की संख्या के बजाए फिल्म की गुणवत्ता को अधिक महत्व देते है इसी को देखते हुए नाना पाटेकर ने अपने तीन दशक लंबे सिने करियर में महज 60 फिल्मों में काम किया है।
सादगी पूर्ण जीवन और सामाजिक कार्यों के लिए नाना पाटेकर जाने जाते हैं
नाना पाटेकर फिल्म इंडस्ट्री की चकाचौंध करने वाली दुनिया में सादगी, सरलता, सहजता के बीच मानवीय गुणों, देशज संस्कृति के प्रति अनुराग और कृतज्ञता की अनूठी मिसाल हैं। वे रील नहीं बल्कि रीयल लाइफ के हीरो हैं। नाना पाटेकर के समय-समय पर महाराष्ट्र के जरूरतमंद किसानों की मदद करते हैं। उन्होंने किसान परिवारों के कल्याण की खातिर ‘नाम’ नामक संस्था भी शुरू की है। यह दीगर बात है कि बॉलीवुड में साल 2018 नाना के लिए अच्छा नहीं रहा। तनुश्री दत्ता के साथ मीटू प्रकरण में उनका नाम खराब हुआ। हालांकि मामले की जांच जारी है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार