बॉलीवुड। दुर्गा खोटे बॉलीवुड की उन हस्तियों में से एक हैं जिन्होंने हिन्दी सिनेमा में महिलाओं के लिए नए आयाम बनाए। वो दौर था जब बॉलीवुड में अभिनेत्रियों का कोई स्थान नहीं था। महिलाओं का किरदार भी पुरुष ही निभाया करते थे। ऐसे दौर में दुर्गा खोटे ने फिल्मों में एंट्री की और हीरोइन के तौर पर अपनी पहचान बनाई। जब दुर्गा ने बॉलीवुड में आने का फैसला लिया तो इस महिलाओं के लिए एक घृणित काम माना जाता था।
दुर्गा खोटे एक प्रतिष्ठित परिवार से थीं। उनके इस फैसले से बॉलीवुड में हड़कंप मच गया था। फिल्मों में आने के लिए दुर्गा को कई तरह की बातें सुननी पड़ीं लेकिन वो अपने इरादे की पक्की निकलीं। उनको हिंदी सिनेमा में एक आदर्श मां का किरदार निभाने के रूप में भी याद किया जाता है। आज दुर्गा खोटे के जन्मदिन पर आइए जानते हैं कैसा रहा इनका फिल्मी सफर और निजी जिंदगी।
14 जनवरी 1905 को दुर्गा खोटे का मुंबई में हुआ था जन्म
दुर्गा खोटे का जन्म 14 जनवरी, 1905 में मुंबई में हुआ था। इनके पिता का नाम पांडुरंग लाउद और माता का नाम मंजुलाबाई था। दुर्गा खोटे ने कैथ्रेडल हाई स्कूल और सेंट जेवियर्स कॉलज से बीए की डिग्री हासिल की। दुर्गा खोटे का शुरुआती जीवन सुखमय रहा, लेकिन बाद में उन पर दुखों का पहाड़ टूटा। जब वह मात्र 26 साल उम्र की थीं, तभी उनके पति का निधन हो गया। उनका घरेलू जीवन बहुत ही कठिन और दुखों से भरा रहा। उन्हें जो कुछ खुशी मिली, अपने बच्चों से ही मिली। पति के निधन के बाद उन पर दो बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी आ गई थी। ऐसे में उन्होंने पैसे के लिए फिल्मों की राह पकड़ी। दुर्गा पढ़ी-लिखी थीं। दुर्गा ने पैसे कमाने के लिए सबसे पहले ट्यूशन का सहारा लिया।
‘फरेबी जाल’ से दुर्गा खोटे ने की फिल्मी करियर की शुरुआत
पद्मश्री से सम्मानित दुर्गा खोटे ने मूक फिल्मों के दौर में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। ‘फरेबी जाल’ उनकी पहली फिल्म थी। उस दौर की फिल्मों में ज्यादातर पुरुष ही महिलाओं की भूमिका निभाते थे। महिलाएं पर्दे में रहती थीं, जो कोई फिल्मी पर्दे पर आती थी, उसे अच्छी नजर से नहीं देखा जाता था। फिर भी दुर्गा खोटे ने साहस दिखाया और कामयाबी उनके कदम चूमती रही।
दुर्गा खोटे ने 200 फिल्मों में शानदार अभिनय किया
दुर्गा खोटे ने 200 फिल्मों के साथ ही सैकड़ों नाटकों में अभिनय किया और फिल्मों को लेकर समाज द्वारा तय वर्जनाओं को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई। हिंदी फिल्मों में उन्हें विशेष रूप से मां की भूमिका के लिए याद किया जाता है।उन्होंने विजय भट्ट की फिल्म ‘भरत मिलाप’ में कैकेई की भूमिका को जीवंत बना दिया। सन 1936 में बनी फिल्म ‘अमर ज्योति’ में उन्होंने सौदामिनी की भूमिका निभाई, जो उनके सबसे यादगार भूमिकाओं में से एक है। उनके बेमिसाल अभिनय को आज तक लोग याद करते हैं। हिंदी के अलावा मराठी फिल्मों की भी वह मशहूर अभिनेत्री रहीं हैं।
मुगल-ए-आजम में दुर्गा खोटे ने जोधाबाई में मां का यादगार किरदार निभाया
फिल्मकार के आसिफ की बहुचर्चित फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ में सलीम की मां जोधाबाई की यादगार भूमिका से उन्हें प्रसिद्धि मिली। उन्होंने ‘चरणों की दासी’, ‘मिर्जा गालिब’, ‘बॉबी’, ‘विदाई’, ‘चाचा भतीजा’, ‘जय बजरंगबली’, ‘शक’,अभिमान, ‘बावर्ची’, ‘पापी’, ‘कर्ज’, ‘पहेली’, ‘चोर सिपाही’, ‘साहेब बहादुर’, ‘राजा जानी’ जैसी फिल्मों में मां का शानदार किरदार निभाया। उसके बाद दुर्गा खोटे की हिंदी सिनेमा में एक आदर्श मां की पहचान बन गई थी।
‘पद्मश्री और दादा साहब फाल्के’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था
भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के लिए उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1968 में दुर्गा खोटे पद्मश्री से भी सम्मानित हुईं। इसके अलावा वर्ष 1958 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला। फिल्म ‘विदाई’ में बहेतरीन अभिनय के लिए उन्हें वर्ष 1974 में सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार मिला। आज भी दुर्गा खोटे को फिल्मी दुनिया की मां के किरदार को निभाने के लिए याद किया जाता है।
22 सितंबर 1991 काे दुर्गा खोटे ने दुनिया को कहा अलविदा
मराठी और हिंदी सिनेमा में अभिनेत्री और मां का रोल निभाने वाली दुर्गा खोटे ने महिलाओं के लिए नए आयाम खोले थे।फिल्मों से संन्यास लेने के बाद उन्होंने मराठी में अपनी आत्मकथा लिखी थी। हिंदी एवं मराठी फिल्मों के अलावा रंगमंच की दुनिया में करीब पांच दशक तक सक्रिय रहीं दुर्गा खोटे ने 22 सितंबर, 1991 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।वह हमारी स्मृतियों में हमेशा बनी रहेंगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेंगी।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार