मुंबई। अपने रचित गीतों से दर्शकों के बीच अमिट छाप छोड़ने वाले योगेश गौड़ का आज निधन हो गया। वह 77 वर्ष के थे।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 19 मार्च 1943 को जन्मे गीतकार योगेश ने साठ और सत्तर के दौर में कई बेहतरीन गीत हिंदी सिनेमा को दिए। इनमें राजेश खन्ना की सुपरहिट फिल्म आनंद के गीत ‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए’ और ‘ज़िंदगी कैसी है पहेली’ जैसे कालजयी गीत शामिल हैं।
उन्होंने मुख्य रूप से ऋषिकेश मुखर्जी और बासु चटर्जी की फ़िल्मों के लिए गीत लिखे। योगेश ने फिल्म मिली का ‘आए तुम याद मुझे’ छोटी सी बात का ‘न जाने क्यों होता है ये जिंदगी के साथ’, रजनीगंधा का ‘कई बार यूं भी देखा है’ के अलावा ‘रिमझिम गिरे सावन सुलग-सुलग जाए मन’, ‘न बोले तुम न मैंने कुछ कहा’, ‘बड़ी सूनी-सूनी है’, ‘जिंदगी ये जिंदगी’ जैसे कई गीत लिखे।
योगेश गौर ने एक रात, मिली, छोटी सी बात, आनंद, आजा मेरी जान, मंजिलें और भी हैं, बातों-बातों में, रजनीगंधा, मंजिल, आनंद महल, प्रियतमा, मजाक, दिललगी, अपने पराए, किराएदार, हनीमून, चोर और चांद, बेवफा सनम, जीना यहां, लाखों की बात” जैसी फिल्मों के गीत लिखे। योगेश ने एक लेखक के रूप में टेलीविजन धारावाहिकों में भी काम किया।
स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने योगेश के निधन एक ट्वीट कर अपनी संवेदनाएं जताईं। योगेश के लिखे गीत गा चुकीं स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने लिखा कि मुझे अभी पता चला कि दिल को छूने वाले गीत लिखने वाले कवि योगेश जी का आज स्वर्गवास हुआ। ये सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ। योगेश जी के लिखे कई गीत मैंने गाए। योगेश बहुत शांत और मधुर स्वभाव के इंसान थे। मैं उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पण करती हूं।