मुंबई। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों में संशोधन को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को एक साथ करने के सुझाव को लेकर एक महीने से अधिक समय तक उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने में विफल रहने पर केंद्र सरकार को सोमवार को फटकार लगाई।
कड़ी आलोचना का सामना कर रहे नए आईटी नियमों को चुनौती देते हुए न्यायालय में दो याचिकायें दाखिल की र्गइ हैं। याचिकाओं में नए आईटी नियमों को अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 19 (ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 19 (1) (जी) (किसी भी पेशे का अभ्यास करने की स्वतंत्रता, या कोई भी व्यवसाय, व्यापार या व्यवसाय करने की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करार दिया गया है।
जुलाई के पहले सप्ताह में विभिन्न व्यक्तियों और एक डिजिटल समाचार वेब पोर्टल द्वारा नए आईटी नियमों को चुनौती देने वाली कई याचिकायें उच्च न्यायालय के समक्ष दायर की गई थीं। पिछली बार सुनवाई के दौरान, केंद्र सरकार ने कहा था कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में इसी तरह की याचिकाएं दायर की गई हैं, इसलिए वह सभी याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी।
आज जब यह मामला उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए आया, तो मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह से पूछा कि आपने इतना लंबा इंतजार क्यों किया? एक महीने से अधिक समय में आपने स्थानांतरण का आदेश नहीं मिल सका?
इसके बाद, सिंह ने अदालत को सूचित किया कि वे पहले ही स्थानांतरण याचिका दायर कर चुके हैं, लेकिन इसे सुनवाई के लिए नहीं लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि केवल केरल उच्च न्यायालय ने आईटी अधिनियम में संशोधन पर रोक लगा दी है, जबकि अन्य उच्च न्यायालयों ने याचिकाकर्ताओं को कोई राहत नहीं दी है। बाद में न्यायालय ने मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया।