नई दिल्ली। सिक्किम में एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के तहत प्रभावशाली सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के 10 विधायक मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।
एसडीएफ के 10 विधायकों ने भाजपा महासचिव राम माधव की उपस्थिति में यहां पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। एसडीएफ के विधायकों ने भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की।
सिक्किम में विकास का मुद्दा शुरू से ही काफी महत्वपूर्ण रहा है, पूर्वोत्तर के इस राज्य में शुरू से ही क्षेत्रीय दलों का दबदबा रहा है जहां कांग्रेस और भाजपा जैसे दोनों ही राष्ट्रीय दलों काे अपनी जगह बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है। सिक्किम का रणनीतिक रूप से भी काफी महत्व है क्याेंकि यह चीन, भूटान और नेपाल के काफी समीप है।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष सिक्किम में हुए विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग के नेतृत्व वाली एसडीएफ को आश्चर्यजनक रूप से एक अन्य क्षेत्रीय दल सिक्किम क्रांतिकारी माेर्चा के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
इस वर्ष मई में हुए चुनाव में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने 32 सदस्यीय विधानसभा में कुल 17 सीटें हासिल की थीं जोकि बहुमत के आंकड़े से एक सीट ज्यादा थी। श्री चामलिंग के नेतृत्व वाली एसडीएफ को 15 सीटें ही मिल पाई थीं। सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा का गठन वर्ष 2013 में हुआ था।
एसडीएफ के 15 में से 10 विधायकों के भाजपा में शामिल हो जाने से केन्द्र की सत्तारूढ़ पार्टी के पूर्वोत्तर में चलाए जा रहे अभियान को काफी मजबूती मिलेगी।
इससे पहले चामलिंग ने 29 अप्रैल 2018 को इतिहास रचते हुए किसी भी राज्य का सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड अपने नाम किया था। उन्होंने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु का रिकार्ड तोड़ा था। चामलिंग ने 12 दिसंबर 1994 को सिक्किम के मुख्यमंत्री का पद संभाला था।
पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में भाजपा सिक्किम समेत असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा में सत्ता में है जबकि नागालैंड और मेघायल में वह अन्य दलों के साथ सत्ता में है।
सिक्किम के मौजूदा मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग इस समय विधानसभा के सदस्य नहीं हैं। इस घटनाक्रम के साथ ही राज्य में रोचक राजनीतिक परिस्थितियां बन जाएंगी। विधानसभा की तीन सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं और भाजपा राज्य में एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा सकती है।