सबगुरु न्यूज-सिरोही। राजनीति में नेता कब किसे किनारे कर देवें किसे गोद में बैठा लेवें कुछ पता नहीं चलता। ताजा मामले में भी ऐसा ही हो रहा है। राजनीतिक गलियारों में साहब के सिपहसालारों में साहब के कुछ निर्णयों को लेकर कुछ नाराजगी चल रही है।
अब वो नाराजगी अंदरखाने से बाहर भी आकर चौराहों पर भी चर्चा का विषय बन चुकी है। नाराजगी इस बात को लेकर है कि जो लोग साहब के घुसने पर पत्थर मारने और भगा देने की बात करते थे। अपने मोहल्ले में घुसने पर पत्थर तक चला देते थे उन्हें साहब आज गोद में बैठाए हुए हैं।
वहीं जो साहब की अगुवाई करके इन लोगों से पत्थर और गालियां दोनों ही झेले थे वह अपने आपको साहब के इस व्यवहार से दरकिनार किया हुआ महसूस कर रहे हैं।
-इनकी मानें या उनकी
साहब ही नहीं कई बार साहब से सहयोगी भी समस्या कशमकश का कारण बन जा रहे हैं। हालात कुछ ऐसे हुए है कि एक काम के लिए साहब तो ना कर रहे हैं, वहीं उनके दांए-बांए उसी काम को करने के लिए दबाव डाल रहे हैं। अब समस्या ये है कि अधिकारी जाएं तो जाएं कहां।
-असली कांग्रेस बनाम नकली कांग्रेस
जिले में अधिकारियों और मंत्रियों की स्थिति बड़ी अजीब बनी हुई है। वहीं कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की मन:स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। लोढ़ा गुट बनाम जीवाराम गुट बनाम शेष कांग्रेस का संघर्ष अभी भी बरकरार है। संयम लोढ़ा कांग्रेस से निष्कासित हैं। दलबदल कानून के तहत वह कांग्रेस के अधिकृत सदस्य नहीं बन सकते।
हां, सरकार में शामिल मंत्रियों के साथ उठ, बैठ, घूम जरूर सकते हैं। लेकिन, कांग्रेस के काम का काडर उन्हीं के साथ जुड़ा हुआ है। वहीं जिलाध्यक्ष जीवाराम आर्य गुट और शेष कांग्रेस गुट कहने को तो कांग्रेस में हैं, लेकिन संयम लोढ़ा की मौजूदगी में उनकी स्थिति बड़ी अजीब हो जाती है। संयम लोढ़ा की मौजूदगी में तो यह पशोपेश और बढ़ जाता है। वहीं लोढ़ा गुट के कांग्रेसी इस बात को लेकर कशमकश में रहते हैं।
जीवाराम आर्य द्वारा बनाई गई कार्यकारिणी में लोढ़ा गुट के कई कद्दावर कार्यकर्ताओं को जगह नहीं दी गई है। ऐसे में लोढ़ा गुट के कांग्रेसियों की स्थिति मंत्री विदाउट पोर्टफोलियो की सी हो गई है। ऐसे में यहां आने वाले मंत्री, अधिकारी और खुद कांग्रेस भी इस बात को लेकर पशोपेस में है कि वह आखिर इन तीन गुटों में से किसको प्राथमिकता दे और किसे नजरअंदाज करे। वो यह नहीं समझ पाते कि इसमें असली कांग्रेस किसे मानें और नकली किसे?