इम्फाल। एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मुक्केबाज नगंगोम डिंको सिंह का यहां गुरुवार को कैंसर और कोरोना से जूझने के बाद निधन हो गया। वह 42 वर्ष के थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट में स्टार मुक्केबाज के निधन पर दुख जताते हुए लिखा कि डिंको सिंह एक खेल सुपरस्टार और एक उत्कृष्ट मुक्केबाज थे, जिन्होंने कई पुरस्कार जीते और मुक्केबाजी की लोकप्रियता को आगे बढ़ाने में भी योगदान दिया। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।
उल्लेखनीय है कि दिवंगत डिंको सिंह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे और उन्हें इलाज के लिए इम्फाल में अपना घर बेचना पड़ा था। उन्होंने 13वें एशियाई खेलों बैंकॉक में 54 किग्रा वर्ग मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक जीतने के बाद भारतीय नौसेना में सेवा की थी। उन्होंने 1997 में बैंकॉक में किंग्स कप भी जीता था। मुक्केबाजी में देश का नाम रोशन करने के लिए उन्हें पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
इम्फाल के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने शोक संदेश में कहा कि आज सुबह डिंको सिंह के निधन के बारे में सुन कर मैं स्तब्ध और बहुत दुखी हूं। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डिंको सिंह मणिपुर के अब तक के सबसे उत्कृष्ट मुक्केबाजों में से एक थे। शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। उनकी आत्मा को शांति मिले। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है।
भारतीय मुक्केबाजी संघ (बीएफआई) ने भी डिंको सिंह के निधन पर शोक जताया है। बीएफआई के अध्यक्ष अजय सिंह ने एक बयान में कहा की डिंको एमसी मैरीकोम और सरिता देवी सहित कई भारतीय मुक्केबाजों के लिए प्रेरणास्त्रोत थे। अजय सिंह ने कहा कि डिंको सिंह का निधन भारतीय मुक्केबाजी के लिए एक अपूरणीय क्षति है। दुःख और शोक की इस घड़ी में मुक्केबाजी समुदाय उनकी पत्नी और परिवार के साथ मजबूती से खड़ा है और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है।
देश जब पिछले साल लॉकडाउन में फंसा था तब डिंको सिंह को एयर एम्बुलेंस के जरिये इम्फाल से दिल्ली लाया गया था ताकि उनके कैंसर का इलाज किया जा सके। उस वर्ष बाद में वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे।
इम्फाल के पूर्वी जिले में स्थित सेक्ता के एक छोटे से गांव से आने वाले डिंको सिंह ने अपना अंतर्राष्ट्रीय पदार्पण 1997 में किया था और 1998 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर वह भारतीय मुक्केबाजी समुदाय के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए थे। उन्होंने 16 वर्षों के इन्तजार के बाद भारत को एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक दिलाया था।
डिंको ने वर्ष 2000 के सिडनी ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हें 1998 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। एशियाई खेलों में डिंको ने दुनिया के कई श्रेष्ठ मुक्केबाजों को हराकर स्वर्ण पदक जीता था।
उन्होंने उस समय विश्व के तीसरे नंबर के मुक्केबाज थाईलैंड के वोंग सोनताया को सेमीफाइनल में हराया था और फिर फाइनल में नंबर एक तिमूर तुल्याकोव को पराजित कर ऐतिहासिक स्वर्ण जीता था।