मुंबई। भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार आलराउंडर ने संविधान निर्माता डा. भीमराव अम्बेडकर पर आपत्तिजनक ट्वीट करने से इंकार किया है।
पांड्या ने गुरूवार को बयान जारी कर कहा कि मीडिया में मैंने आज यह रिपोर्ट पढ़ी है कि मैंने डा. भीमराव अम्बेडकर पर आपत्तिजनक ट्वीट किया है। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैंने कहीं पर भी ऐसा ट्वीट नहीं किया। जिस ट्वीट को लेकर यह मामला उठा है वह किसी जाली अकाउंट से मेरा नाम और फोटो इस्तेमाल कर किया गया है। मैं सिर्फ अपना आधिकारिक ट्विटर अकाउंट ही इस्तेमाल करता हूं।
आलराउंडर ने साथ ही कहा कि मेरी डा. भीमराव अम्बेडकर, भारतीय संविधान और सभी समुदायों में अगाध निष्ठा है और मैं कभी इस तरह का कमेंट नहीं कर सकता जिससे किसी समुदाय की भावना को ठेस पहुंचे। मैं अदालत में भी इस बात को रखूंगा कि इस ट्वीट को मैंने नहीं किया था और किसी शरारती तत्त्व ने ऐसा मेरी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए किया है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में जोधपुर की एक अदालत ने पांड्या के खिलाफ डा. भीमराव अम्बेडकर पर आपत्तिजनक टिप्पणी के प्रकरण में मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण जोधपुर महानगर न्यायालय के न्यायाधीश मधु सूदन शर्मा ने परिवादी अधिवक्ता डीआर मेघवाल के परिवाद पर यह आदेश दिये थे। न्यायालय ने इस मामले में दंड संहिता की धारा 156 (3) के तहत मामले की जांच करने के आदेश दिए थे।
मेघवाल ने बताया था कि व्हाटसअप पर पांड्या द्वारा डा. अम्बडेकर के बारे में “कौन है अम्बेडकर, जिसने दोगला कानून एवं संविधान बनाया तथा आरक्षण नाम की बीमारी फैलाई” टिप्पणी करने का मामला सामने आने के बाद उन्होंने जोधपुर के लूणी थाने में मुकदमा दर्ज करने का निवेदन किया लेकिन पुलिस ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
उन्होंने बताया था कि इसके बाद इस संबंध में पुलिस आयुक्त से भी अनुरोध किया गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद गत 30 जनवरी को न्यायालय में इस्तगासा पेश कर मामले की जांच कराने का निवेदन किया गया।