नई दिल्ली। जल संसाधन, नदी विकास, गंगा पुनरूद्धार और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा है कि जीवन में सकारात्मक सोच का होना जरूरी है और इस तरह की सोच माहौल तथा आसपास के वातावरण को तब्दील करने में समर्थ है।
मेघवाल ने आज यहां प्रजापिता ब्रह्मकुमारीज की ओर से विज्ञान, अध्यात्म, शिक्षा और पर्यावरण विषय पर आयोजित सम्मेलन में शिरकत करते हुए कहा कि मानव मस्तिष्क की तरंगों का दूसरों पर तत्काल असर पड़ता और सकारात्मक विचार तथा इस प्रकार की सोच अधिक प्रभावशाली होती हैं।
उन्होंने बताया कि आज सुबह साढ़े सात बजे की मेरी कोयंबटूर की फ्लाइट थी और प्रजापति के राजयोगी बीके मृत्युंज्य भाई ने मुझे फोन कर इस कार्यक्रम में शिरकत करने का आग्रह किया था लेकिन मैंने विमान टिकट कन्फर्म होने की वजह से अपनी असमर्थता व्यक्त कर दी थी। इसी बीच विमान एयरलाइंस की ओर से एक संदेश आता है कि आज की फ्लाइट तीन घंटे लेट है और इसी वजह से मुझे यहां आने का सौभाग्य मिला जो शायद उनके मस्तिष्क से निकली सकारात्क तरंगों का नतीजा हो सकता है।
मेघवाल ने कहा कि अध्यात्म और विज्ञान में आपस में गहरा संबंध है और मस्तिष्क से निकली तरंगें हमारी सोच तथा दूसरों के व्यवहार को प्रभावित करती है। राजनीतिक क्षेत्र के लोग अगर सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण रहेंगें तो बेहतर कानून बनेंगे और देश प्रगति की राह पर चलेगा।
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए खान और कोयला केन्द्रीय राज्य मंत्री हरिभाई पार्थिभाई चौधरी ने कहा कि देश में आज चारों तरफ साधु संतों के प्रवचनों और सत्संगों के बावजूद लूटपाट, चोरी और अपराध की घटनाओं का होना लोगों के मन और मस्तिष्क में नकारात्मक विचाराें को दर्शाता है और इसे सिर्फ बेहतर सोच तथा अध्यात्म से ही दूर किया जा सकता है।
उन्होंंने कहा कि देश में राष्ट्रीयता की कमी है और इसेे लोगों के विचारों में लाए जाने की जरूरत है तथा नई पीढ़ी को अपने पुरातन मूल्यों, आजादी के महत्व और संस्कारों के बारे में शिक्षित किया जाना जरूरी है । उन्होंने कहा कि देश के हित सर्वोपरि हैं और हर देश वासी को मिलकर देश के विकास के लिए काम करना हाेगा। उन्हाेंने बताया कि शिक्षा के जरिए देश में तरक्की और विकास लाया जा सकता है और इसी के जरिए लोग प्रगति की राह पर बढ़ेंगे।
इस कार्यक्रम में ब्रह्मकुमारीज में पिछले 50 वर्षों से जनकल्याण कार्यों में व्यस्त राजयोगिनी शुक्ला दीदी ने बताया कि व्यावहारिक जीवन में नैतिक दर्शन की जरूरत है और आध्यात्मिकता जीवन को हर मोड़ पर अच्छी राह दिखाती है। आज संसार के लोग भौतिक सुखों के पीछे भाग कर मानसिक सुख को भूल गए हैं और विभिन्न प्रकार की मानसिक व्याधियों तथा मानसिक अवसाद का शिकार होते जा रहे हैं।
शारीरिक तथा मानसिक प्रदूषण इतना बढ़ गया है लोग किसी भी तरह के अपराध को करने से नहीं डर रहे हैं । विषय और वासना तथा भोगवादी संस्कृति ने दूषित विचारों काे जन्म दिया है अौर तामसिक सोच के कारण नकारात्मकता एवं अंसतोष लोगों में बढ़ता जा रहा है। व्यक्ति की जैसी सोच और विचार होंगे वैसे ही उसकी आदत तथा व्यवहार बन रहा है। इन सभी से बचने के लिए जीवन में आध्यात्मिकता को अपनाना जरूरी है क्याेंकि यह एक सुरक्षा कवच है जो मन और व्यक्ति को मजबूत बनाता है।
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वाइस एडमिरल और नौसैनिक अभियानों के महानिदेशक सतीश एन घाेरमाडे ने कहा कि आज पूरा विश्व उथल पुथल से गुजर रहा है अौर ऐसे में मन तथा जीवन मूल्यों की रक्षा बेहद जरूरी है जो सिर्फ अध्यात्म से ही संभव है।
उन्हाेंने कहा कि विश्व का हर देश हथियारों की ताकत तो अर्जित कर रहा है लेकिन इसके साथ मन की आंतरिक ताकत तथा मानसिक शांति का होना भी जरूरी है जो सिर्फ अध्यात्म तथा शुद्ध विचारों से ही संभव है।