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Breathtaking! The artificial lungs for human transplants made of tobacco-तंबाकू से बन रहा है कृत्रिम फेफड़ा - Sabguru News
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तंबाकू से बन रहा है कृत्रिम फेफड़ा

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तंबाकू से बन रहा है कृत्रिम फेफड़ा
Breathtaking! The artificial lungs for human transplants made of tobacco
Breathtaking! The artificial lungs for human transplants made of tobacco

लंदन। विश्व भर में हर साल लाखों लोगों की जान लेने वाला ‘कातिल’ तंबाकू प्राणवायु बन कर लोगों को नई जिन्दगी देने का मादा रखता है। वैज्ञानिक तंबाकू के ‘कातिलाना अंदाज’ को ‘मसीहाई अदा’ में ढालने की डगर पर चल पड़े हैं और 10 साल के अंदर तंबाकू का कृत्रिम फेफड़ा कई लोगों के लिए जीवन रक्षक सिद्ध हो सकता है।

ब्रिटेन के ‘डेली मेल’ ने ‘यूके स्टेम सेल फाउंडेशन के मुख्य वैज्ञानिक प्रोफसर ब्रेन्डॉन नोबल के हवाले से बताया कि तंबाकू से तैयार फेफड़े रोगियों में आसानी से प्रत्यारोपित किए जा सकेंगे और 10 साल के अंदर यह मेडिकल की दुनिया में कदम रख सकता है।

प्रोफेसर नोबल ने कहा कि तंबाकू में कृत्रिम कोलेजन (रेशे एवं अजैविक लवण) विकसित जाने का गुण है। कई प्रकार की प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद तंबाकू से प्रमुख अंतरकोशिकीय पदार्थ ‘कोलेजन’ विकसित करके कृत्रिम फेफड़ें बनाए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि अनुसंधानकर्ताओं ने तंबाकू की ऐसी पौध तैयार की है जिससे बड़ी मात्रा में कोलेजन प्राप्त किया जा सकता है और यह कोलेजन मानवीय शरीर में पाए जाने वाले काेलेजन से काफी मिलता-जुलता होगा।

उन्होंने कहा कि तंबाकू से विकसित कोलेजन को एक प्रकार की स्याही में बदल कर उसे थ्री डी प्रिंटर में डाला जाएगा और इसके बाद यह परत-दर परत जमकर मानवीय फेफड़े की प्रतिकृति तैयार करेगा।

इसके बाद रोगी की त्वचा से एक प्रक्रिया के तहत कृत्रिम फेफड़े को स्वस्थ कोशिकाओं वाले फेफड़े में तैयार किया जाएगा जिसे रोगी विशेष में प्रत्यारोपित किया जा सके। अमरीका की ‘यूनाइटेड थेरेपेटिक्स’कंपनी थ्री डी प्रिंटर बना रही है। ऐसे प्रिंटर मानवीय त्वचा और रेटिना बनाने के उपयोग में लाये जा रहे हैं, हालांकि वे बहुत छोटे होते हैं।

उन्होंने कहा कि हालांकि तंबाकू से कृत्रिम फेफड़ा बनाने की प्रक्रिया शुरूआती अवस्था में है लेकिन वह दिन दूर नहीं जब फेफड़े के प्रत्यारोपाण के लिए दानकर्ताओं का लंबा इंतजार खत्म हो जाएगा।