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बीआरएस विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला सीबीआई के हवाले - Sabguru News
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बीआरएस विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला सीबीआई के हवाले

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बीआरएस विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला सीबीआई के हवाले

हैदराबाद। तेलंगाना हाईकोर्ट ने सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के चार विधायकों को कथित रूप से बड़ी रकम की पेशकश कर भारतीय जनता पार्टी से जोड़ने के तीन लोगों के सनसनीखेज मामले की जांच सोमवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी।

न्यायमूर्ति बी विजयसेन रेड्डी ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। इससे पहले 15 दिसंबर को मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश सुरक्षित रखा था। हाईकोर्ट ने इसके साथ ही मामले की जांच कर रहे राज्य सरकार द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) को भी रद्द कर दिया।

यह तेलंगाना के मोइनाबाद में एक फार्म हाउस पर छापा मारने के दो महीने बाद आया है और साइबराबाद पुलिस ने चार विधायकों में से प्रत्येक को 100 करोड़ रुपए में ‘खरीद’ कर सत्तारूढ़ बीआरएस सरकार को गिराने की साजिश का खुलासा करने का दावा किया था।

न्यायालय का यह आदेश भाजपा और आरोपी लोगों की ओर से दायर याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई के बाद आया है। न्यायाधीश ने एसआईटी को मामले की जांच का विवरण सीबीआई को सौंपने का भी निर्देश दिया। तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली सरकार ने पहले सीबीआई से जांच कराने की सामान्य सहमति वापस ले ली थी।

उच्चतम न्यायालय ने 21 नवंबर को तेलंगाना हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें सत्तारूढ़ बीआरएस के चार विधायकों को कथित रूप से भाजपा एजेंटों द्वारा खरीद-फरोख्त करने के प्रयासों के आरोपों की विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच की अनुमति दी गई थी। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश को कानून की दृष्टि से टिकाऊ नहीं बताते हुए रद्द कर दिया।

इससे पहले 15 नवंबर को, तेलंगाना उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया था और शहर के पुलिस आयुक्त सीवी आनंद की अध्यक्षता वाली एसआईटी को जांच करने के लिए कहा था। शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट से इस मामले में जल्द से जल्द और चार सप्ताह के भीतर फैसला करने को कहा।

न्यायमूर्ति रेड्डी की पीठ याचिकाओं के बैच की सुनवाई कर रही थी, जब शीर्ष न्यायालय ने उच्च न्यायालय को सीबीआई या किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच की मांग करने वाले मामले में तीन आरोपियों और भाजपा द्वारा दायर रिट याचिका पर फैसला करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने तेलंगाना सरकार और भाजपा के अलावा तीन आरोपियों की ओर से दायर याचिकाओं पर व्यापक दलीलें सुनीं।

महाधिवक्ता बीएस प्रसाद ने अदालत को बताया कि शुरुआत में साइबराबाद आयुक्तालय की मोइनाबाद पुलिस ने बीआरएस विधायक पायलट रोहित रेड्डी की शिकायत के बाद प्राथमिकी दर्ज की थी कि तीन लोगों ने उन्हें और तीन अन्य बीआरएस विधायकों को भाजपा में शामिल होने का लालच दिया था। बाद में राज्य सरकार ने मामले की जांच करने के लिए एसआईटी का गठन किया था।

प्रसाद ने तर्क दिया कि सरकार की ओर से गठित एसआईटी विधायकों के अवैध खरीद-फरोख्त के प्रयास मामले की जांच करने के लिए सशक्त और सक्षम है, हालांकि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधान इस मामले में शामिल हैं।

भाजपा से कथित रूप से जुड़े रामचंद्र भारती उर्फ ​​सतीश शर्मा, कोरे नंदू कुमार और डीपीवीएसके सिम्हायाजी को एक फार्म हाउस में हिरासत में लेने के बाद 26 अक्टूबर को बीआरएस विधायकों के अवैध खरीद-फरोख्त के प्रयास का मामला दर्ज किया गया था।

अगले दिन, तीनों आरोपियों को एसीबी की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने यह कहते हुए उनका रिमांड खारिज कर दिया कि जांचकर्ता आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत अभियुक्तों को अनिवार्य नोटिस जारी करने में विफल रहे।

इसे चुनौती देते हुए एसआईटी ने उच्च न्यायालय का रुख किया। उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति सुमलता ने विशेष अदालत के रिमांड खारिज करने के आदेश को खारिज कर दिया और आरोपियों को साइबराबाद पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।

न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद, प्रतिवादी ने शीर्ष अदालत में विशेष अनुमति याचिका दायर की और उसकी सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने 21 नवंबर को आदेश पारित किया।