जयपुर । भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी, जयपुर ने राजस्थान में कौशल विकास के लिए एक मॉडल ईको सिस्टम कायम करने और कौशल विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ हुनरमंद और मेधावी विद्यार्थियों की पहचान करने का प्रयास भी किया है।
इसी सिलसिले में बीएसडीयू ने ‘प्रतिभा खोज परीक्षा‘ के माध्यम से सबसे प्रतिभाशाली और योग्य छात्रों तक पहुंचने की कोशिश की। विद्या भारती के सहयोग से बीएसडीयू ने ‘प्रतिभा खोज परीक्षा‘ का आयोजन चार अलग-अलग चरणों में किया। छात्रों की योग्यता और उनके कौशल का आकलन करने के उद्देश्य से, राजस्थान के 75 विभिन्न स्कूलों में प्रतिभा खोज परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें लगभग 3,000 छात्रों ने भाग लिया। बीएसडीयू ने परीक्षा में शामिल होने वाले 72 मेधावी छात्रों को नकद पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके अलावा, बीएसडीयू ने इन छात्रों को प्रवेश परीक्षा की छूट प्रदान करने का एलान भी किया। इसका मतलब यह हुआ कि ये छात्र प्रवेश परीक्षा से गुजरे बिना बीएसडीयू में सीधे प्रवेश के लिए पात्र होंगे।
भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी के कुलपति डाॅ (ब्रि) सुरजीतसिंह पाब्ला ने इस अवसर पर कहा, ‘‘हम राजस्थान की प्रतिभाओं को आगे और बढ़ावा देने के लिए डॉ राजेंद्रकुमार जोशी द्वारा शुरू की गई कौशल विकास की पहल को आगे बढ़ा रहे हैं। हमारे छात्रों को न केवल अच्छी कंपनियों में काम करने के अवसर मिल रहे हैं, बल्कि उन्हें इंडियास्किल्स और वल्र्डस्किल्स जैसी प्रतियोगिताओं के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता भी हासिल हुई है। इन मेधावी छात्रों को प्रवेश परीक्षा से गुजरे बिना अपने पसंदीदा कौशल पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षित होने और अपने करियर का निर्माण करने का अवसर मिलेगा।‘‘
मेधावी छात्रों के सम्मान समारोह में आरआईएसयू के कुलपति डाॅ ललित पंवार मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। समारोह में शामिल होने वाले गणमान्य लोगों में विद्या भारती से ललितबिहारी गोस्वामी, कुंजबिहारी शर्मा, सुरेश वाधवा और ए सी जुनेजा प्रमुख हैं। भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी, जयपुर के रजिस्ट्रार डाॅ अचिंत्य चैधरी और डायरेक्टर-एडमिशन्स डाॅ रवि गोयल भी इस समारोह में शामिल हुए।
भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी की परिकल्पना दरअसल डॉ राजेंद्रकुमार जोशी और उर्सुला जोशी ने की है, जो राजस्थान में एक सकारात्मक कौशल विकास ईको सिस्टम विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बीएसडीयू ने हाल ही झारखंड राज्य में भी अपने जैसा कौशल विकास का मॉडल लागू करने की दिशा में काम करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
विश्वविद्यालय ने देश में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालयों, संस्थानों और कॉर्पोरेट्स के साथ 50 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। भारतीय कौशल विकास विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य एक ऐसा माॅडल कायम करना है, जिसे देश भर के अन्य संस्थानों और विश्वविद्यालयों में भी लागू किया जा सके। विश्वविद्यालय में 6 महीने की सैद्धांतिक कक्षाएं और 6 महीने की इंडस्ट्री ट्रेनिंग का एक अनूठा मॉडल लागू किया गया है, जो छात्रों को पहले सेमेस्टर में ही प्लेसमेंट का अवसर प्रदान करता है।
विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए प्रवेश करना और यहां से निकास करना भी आसान है और इस तरह छात्रों को पहले सेमेस्टर में ही प्लेसमेंट मिलने की स्थिति में नौकरी की पेशकश स्वीकार करने में आसानी होती है। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर महीने 1 मिलियन से अधिक लोग कार्यबल में शामिल होते हैं, लेकिन इनमें से 5 प्रतिशत से भी कम लोग ऐसे होते हैं, जिन्होंने कोई औपचारिक कौशल प्रशिक्षण हासिल किया है। जाहिर है कि यह बहुत बड़ा कौशल अंतर है, जिसके बारे में विचार करने की सख्त आवश्यकता है।