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बुद्ध पूर्णिमा : हिंदू और बौद्ध धर्म से जुड़ा हुआ है त्योहार - Sabguru News
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बुद्ध पूर्णिमा : हिंदू और बौद्ध धर्म से जुड़ा हुआ है त्योहार

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बुद्ध पूर्णिमा : हिंदू और बौद्ध धर्म से जुड़ा हुआ है त्योहार

अजमेर। आज बुधवार यानी 26 मई को देशभर में बुद्ध पूर्णिमा धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। इस त्यौहार को हिंदू और बौद्ध धर्म बहुत ही उल्लास और उमंग साथ मनाते आए हैं।

जैसा कि नाम से ही बुद्ध पूर्णिमा है इसका आशय यह है कि बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध का जन्म इसी दिन हुआ था, इसीलिए बौद्ध धर्म के अनुयाई धूमधाम के साथ मनाते हैं। वहीं, हिन्‍दू धर्म में बुद्ध को श्री हरि विष्‍णु का अवतार माना जाता है, इसलिए हिन्‍दुओं के लिए भी इस पूर्णिमा का विशेष महत्‍व है। मान्यता है कि इसी दिन उनको बोधि वृक्ष नीचे ज्ञान की प्राप्‍ति हुई थी और यही उनका निर्वाण दिवस भी है।

इस दिन गंगा स्‍नान का भी विशेष महत्‍व है। हालांकि इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते लोग गंगा स्‍नान नहीं कर पाएंगे। हिन्‍दू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा हर साल अप्रैल या मई महीने में आती है।

इस बार बुद्ध पूर्णिमा 7 मई को है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण के बचपन के दोस्त सुदामा वैशाख पूर्णिमा के दिन ही उनसे मिलने पहुंचे थे। इसी दौरान जब दोनों दोस्त साथ बैठे तब कृष्ण ने सुदामा को सत्यविनायक व्रत का विधान बताया था। इस दिन धर्मराज की पूजा करने की भी मान्यता है। कहते हैं कि सत्यविनायक व्रत से धर्मराज खुश होते हैं।

हिंदू धर्म में बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का है विशेष महत्व

हिन्‍दू धर्म में हर महीने की पूर्णिमा विष्णु भगवान को समर्पित होती है। वैसे तो हर पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान को अत्‍यंत लाभदायक माना जाता है, लेकिन वैशाख पूर्णिमा का अपना-अलग ही महत्व है। इसका कारण यह बताया जाता है कि इस माह होने वाली पूर्णिमा को सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में और चांद भी अपनी उच्च राशि तुला में होता है। कहते हैं कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन किया गया स्नान कई जन्मों के पापों का नाश करता है।

इस पूर्णिमा को सिद्ध विनायक पूर्णिमा या सत्‍य विनायक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध को बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे बुद्धत्‍व की प्राप्‍ति हुई थी। यही नहीं वैसाख पूर्णिमा के दिन ही बुद्ध ने गोरखपुर से 50 किलोमीटर दूर स्थित कुशीनगर में महानिर्वाण की ओर प्रस्‍थान किया था। हिन्दुओं के अलावा बौद्ध धर्म के लोग इस दिन को बुद्ध जयंती के रूप में मनाते हैं।

बौद्ध धर्म में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं

भगवान बुद्ध ही बौद्ध धर्म के संस्थापक हैं। यह बुद्ध अनुयायियों के लिए काफी बड़ा त्यौहार है। इस दिन अनेक प्रकार के समारोह आयोजित किए गए हैं। अलग-अलग देशों में वहां के रीति- रिवाजों और संस्कृति के अनुसार कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। श्रीलंका के लोग इस दिन को ‘वेसाक’ उत्सव के रूप में मनाते हैं, जो ‘वैशाख’ शब्द का अपभ्रंश है।इस दिन बौद्ध घरों में दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से घरों को सजाया जाता है।

दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थनाएं करते हैं। इस दिन बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथों का निरंतर पाठ किया जाता है। बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है. उसकी शाखाओं पर हार और रंगीन पताकाएं सजाई जाती हैं। जड़ों में दूध और सुगंधित पानी डाला जाता है। वृक्ष के आसपास दीपक जलाए जाते हैं, हालांकि इस बार लॉकडाउन के चलते बुद्ध जयंती से संबंधित सभी कार्यक्रमों को पहले ही रदद किया जा चुका है।