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सीएए से मुसलमानों की नागरिकता को कोई खतरा नहीं : गजेन्द्र सिंह शेखावत - Sabguru News
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सीएए से मुसलमानों की नागरिकता को कोई खतरा नहीं : गजेन्द्र सिंह शेखावत

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सीएए से मुसलमानों की नागरिकता को कोई खतरा नहीं : गजेन्द्र सिंह शेखावत

जोधपुर। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक बार फिर दोहराया कि नागरिकता संशोधन कानून से देश के मुसलमानों को कोई खतरा नहीं है। यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का है।

टिड्डी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के दौरान शेखावत ने क्षेत्रीय लोगों के बीच बड़ी सरल भाषा में नागरिकता कानून को समझा। उन्होंने कहा कि तीन तरह से देश की नागरिकता मिलती है। पहला जो भी भारत में पैदा हुआ है। दूसरा यदि कोई व्यक्ति भारतीय है, लेकिन दूसरे देश में रहने लगता है, वहां पैदा हुई उसकी संतानों को नागरिकता मिलेगी।

तीसरा, पहले 11 साल भारत में रहना होगा। उसके बाद आवेदन किया जा सकेगा। इसके बाद की प्रक्रिया में 5 से 10 साल लगेंगे। यानी एक पीढ़ी गुजर जाएगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से आए विस्थापित परिवारों को स्थिति यह है कि न वो अस्पताल में दिखा सकते हैं। न बिजली का कनेक्शन ले सकते हैं। न टेलीफोन और मोबाइल कनेक्शन ले सकते हैं। न बैंक खाता खुलवा सकते हैं और न ही बच्चों का दाखिला स्कूल में होता है। ये लोग 20-20 साल से सड़क पर पड़े हुए हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब देश का बंटवारा हुआ, तब नेहरू जी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली के बीच समझौता हुआ था कि पाकिस्तान वहां रह गए हिंदुओं और भारत यहां रह गए मुसलमानों की सुरक्षा की गारंटी लेगा। विडंबना यह है कि पाकिस्तान में हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। बच्चियों का धर्म परिवर्तन हो रहा है। मंदिरों को नुकसान पहुंचाया जाता है। संपत्ति लूट ली जाती है। ऐसे परिवार दुःखी होकर हिंदुस्तान आते हैं तो उनकी तकलीफ को दूर किया जाना चाहिए। नए कानून में नागरिकता देने का नियम 11 साल से बदलकर 5 साल किया गया है।

शेखावत ने कहा कि स्थिति यह है कि जब ये लोग पाकिस्तान का पासपोर्ट रिन्यू या सरेंडर कराने जाते हैं तो 10-10 हजार रुपए ले लिए जाते हैं। सड़क पर रह रहे इन लोगों के लिए इतने पैसे देना संभव नहीं है। विपक्ष दलों की आलोचना करते हुए शेखावत ने कहा कि इन लोगों ने हल्ला मचा दिया कि मुसलमानों की नागरिकता चली जाएगी, जबकि ये नागरिकता देना का कानून है। हिंदुस्तान में किसी मुसलमान की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है। उनकी कई पीढ़ियां यहीं जन्मी हैं।