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अजमेर में जुम्मे की नमाज के बाद CAA के विरोध में निकाला शांति मार्च - Sabguru News
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अजमेर में जुम्मे की नमाज के बाद CAA के विरोध में निकाला शांति मार्च

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अजमेर में जुम्मे की नमाज के बाद CAA के विरोध में निकाला शांति मार्च

अजमेर। सीसीए और एनआरसी के विरोध में अजमेर शरीफ के अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय ने जुम्मे की नमाज के बाद ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के बाहर एकत्र होकर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इतना नहीं बल्कि इस बिल का समर्थन करने वाले दरगाह दीवान के खिलाफ गुस्सा जाहिर करते हुए उनका पुतला फूंका।

हजारों की संख्या में मुस्लिम समाज के लोगों ने दरगाह बाजार से लेकर कलेक्ट्रेट तक शांति मार्च निकाला। मार्च के दौरान लोग CAA और NRC के विरोध में बैनर लेकर चल रहे थे। सभी ने कलेक्ट्रेट के बाहर जमकर प्रदर्शन किया। नमाजियों के साथ कांग्रेस व अन्य संगठनों के नेता तथा पदाधिकारी भी मौजूद रहे। प्रदर्शनकारियों की संख्या को देखते हुए भारी जाप्ता तैनात किया गया। दरगाह बाजार से कलेक्ट्रेट तक जुलूस पहुंचने के दौरान कडी सुरक्षा व्यवस्था की गई। दरगाह बाजार में जुलूस के शुरुआत में जमा भीड को देखते हुए पुलिस ने दुकाने बंद करवा दीं।

शांतिम मार्च का नेतृत्व कर रहे अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि नागरिकता संशोधन विधेयक संविधान सम्मत नहीं है साथ ही आर्टिकल 14 के विपरीत है। इसके जरिए देश के हर वर्ग को परेशान किया जाएगा। यही वजह है कि देशभर में इसका विरोध हो रहा है। संविधान विरोधी काले कानून सीएए, एनआरसी के विरोध के दौरान कई लोग मारे गए हैं। ऐसे लोगों के परिजनों को सरकार दस दस लाख रुपए मुआवजा दे। इस कानून के कारण देश में अस्थिरता का आलम बन गया है।

इस मौके पर शहर काजी तौफीक अहमद सिद्दीकी ने बताया कि एनआरसी और सीएए दोनों ही बिल धार्मिक आधार पर बनाए गए हैं। इनसे देश के हर मजहब को नुकसान होगा। हमने राष्ट्रपति के नाम सौंपे गए ज्ञापन में दोनों बिलों पर पुनर्विचार की मांग उठाई है। संविधान की पालना और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए इस बिल को वापस लिया जाना चाहिए। जब तक सरकार इस बिल को वापस नहीं लेगी तब तक इसी तरह विरोध जताया जाता रहेगा।

दरगाह के बाहर पुतले पर छिडका पेट्रोल, फिर फूंका

सीएए बिल का विरोध कर रहे मुस्लिम समाज के लोगों ने इस बिल का समर्थन करने वाले जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी, दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन और दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान का दरगाह के बाहर पुतला फूंका। मुस्लिम प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि इन तीनों ने संशोधित नागरिकता कानून को लेकर केन्द्र सरकार का समर्थन किया था। दीगर बात यह है कि पुतला फूंकने के पहले उस पर पेट्रोल भरी बोतल उडेली गई। इसके बाद जैसे ही पुतले पर तिली लगाई तो वह भभक उठा। शुक्र है कि इस दौरान कोई चपेट में नहीं आया।

ये भी रहे शांति मार्च में शामिल

शांति मार्च के दौरान शहर के उलेमा मुफ्ती मोहम्मद बशीर उल कादरी, खादिमों की संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान के सदर मोइन हुसैन चिश्ती, आले बदर चिश्ती, मुसबीर हुसैन, अंजुमन शेख जादगान के सदर शेखजादा अब्दुल जर्रार चिश्ती, सैय्यद गुलाम मुस्तफा, सरवाड़ दरगाह के मुतवल्ली हाजी मोहम्मद यूसुफ, मौलाना मोइनुद्दीन रिजवी, मौलाना अयूब कासमी, अंदरकोटियान पंचायत सदर मंसूर खान, पूर्व सदर हाजी चांद खान, अब्बास समाज के सदर हाजी शकील अब्बासी, तारागढ़ पंचायत खुद्दाम के सदर सैय्यद मियां अहमद, राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा के सदर रियाज अहमद मंसूरी, पूर्व पार्षद मुख्तार अहमद नवाब, श्रीनगर पंचायत समिति के पूर्व प्रधानमंत्री मेहराज खान, दरगाह तारागढ़ इंतजामिया के सदर हाजी मोहम्मद यूनुस आदि शामिल रहे।