जयपुर। राजस्थान के पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि धर्म के आधार पर भारत का विभाजन कराने वाली कांग्रेस अब भी तुष्टीकरण की नीति पर कदमताल कर रही है।
देवनानी ने आज जारी बयान में कहा कि 1947 में कांग्रेस ने धर्म के आधार पर विभाजन कराने की जो भूल की थी उसे मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल के जरिए सुधारने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि पड़ौसी इस्लामिक देशों के सिन्धी, सिक्ख, बौद्ध एवं अन्य हिन्दू अल्पसंख्यकों का आश्रयदाता देश एकमात्र भारत है।
भारत सरकार ने अपनी सनातन परम्परा का निर्वहन करते हुए नागरिकता संशोधन बिल पारित किया है इससे विशेषकर सिंधी एवं सिख शरणार्थियों को न्याय मिला है तथा उनके वर्षों पुराने घावों पर मरहम लगा है, इसमें किसी भी भारतीय मुसलमान के हित से कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है फिर भी कांग्रेस इस विधेयक का विरोध करके तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है।
देवनानी ने कहा कि विश्व के किसी भी देश ने हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए अपने दरवाजे नहीं खोले हैं। हिन्दू धर्मावलंभी किसी भी देश में शरण का पात्र नहीं है जिससे हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बंगलादेश में मुस्लिम धर्म को विशेष महत्व दिए जाने के कारण यहां हिन्दू, बौद्ध, सिख धर्मवलंबियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता रहा है।
इन देशों में अल्पसंख्यक हिन्दुओं की बेटियों के साथ बलात्कार, अपहरण एवं जबरन धर्म परिवर्तन, विवाह करने की घटनाएं आए दिन घटित होती रहती हैं। इन देशों में सुनियोजित प्रताड़ना के कारण हिन्दु अल्पसंख्यकों की संख्या निरंतर कम होती जा रही है।
उन्होंने कहा कि आजादी के समय पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या 23 प्रतिशत थी जो अब घटकर 1.3 प्रतिशत रह गई है। यही हालात बांग्लादेश में है। यहां आजादी के समय 14 प्रतिशत अल्पसंख्यक थे जो घटकर सात प्रतिशत रह गए हैं, जबकि भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति इसके विपरीत है।