नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों को मिलाकर चार बैंक बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि बैंकों के विलय के बेहतर परिणाम सामने आए है। विजया बैंक, देना बैंक और बडौदा बैंक के विलय से उपभोक्ताओं लाभ हुआ है और ऋण वितरण का समय 27 दिन से घटकर 11 दिन रह गया है।
उन्होेंने बताया कि ओरियंटल बैक ऑफ कॉमर्स और युनाईटेड बैंक ऑफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक में विलय होगा। सिंडीकेट बैंक को केनारा बैंक में मिला दिया जाएगा। आंध्रा बैंक और कार्पोरेशन बैंक का विलय युनियन बैंक ऑफ इंडिया में किया जाएगा। इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में मिलाया जाएगा। बैंकों का विलय एक अप्रैल 2020 से प्रभावी होगा।
सीतारमण ने बताया कि इसके बाद देश में सात बड़े बैंक हो जाएंगे। इससे इनका दायरा बढ़ेगा और इनका कुल कारोबार आठ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो जाएगा। विलय के बाद भारतीय बैंक वैश्विक बैंकों का मुकाबला कर सकेंगे। इससे इनके संचालन में सुधार आएगा और भारतीय बैंकिंग प्रणाली पर बेहतर प्रभाव पड़ेगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बैंकों के विलय से इनकी वित्तीय क्षमता में इजाफा होगा और ये बड़ी परियोजनाओं के लिए ऋण उपलब्ध करा सकेंगे। बैंकों को वित्तीय समेकन में मदद मिलेगी और उनकी लागत में कमी आएगी। इसके अलावा कोर बैंकिंग में सुधार होगा तथा उन्नत प्रौद्योगिकी अपनाई जा सकेगी। देश का बैंकिंग परिवेश बदलेगा और इससे विकास में तेजी आएगी।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि फिलहाल और बैंकों के विलय के प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है। बैंकों के विलय के फैसले एक समिति के व्यापक स्तर पर सोच विचार के बाद लिए जाते हैं और उनके लिए एक निर्धारित प्रक्रिया अपनाई जाती है।