नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम संसदीय सत्र में भी तीन तलाक से संबंधित विधेयक पारित नहीं हो पाने के कारण एक बार फिर से इसके लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया है।
इसके साथ ही सरकार ने भारतीय चिकित्सा परिषद के संचालन से संबंधित अध्यादेश के साथ ही कंपनी कानून में दूसरा संशोधन अध्यादेश और पौंजी स्कीम निरोधक अध्यादेश को मंजूरी प्रदान कर दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस संबंध में राष्ट्रपति से तत्काल अध्यादेश जारी करने का आग्रह करने का निर्णय लिया गया। बैठक के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि तीन तलाक से संबंधित विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है लेकिन यह राज्यसभा में लंबित है। इसलिए सरकार ने इस पर फिर से अध्यादेश लाने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
उन्होंने कहा कि चार अध्यादेश में से तीन पर राज्यसभा में भी सहमति बन गयी थी लेकिन गतिरोध के कारण इनसे संबंधित विधेयक पारित नहीं हो सके जिसके कारण सरकार को अध्यादेश लाना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि अंतरराज्यीय पौंजी स्कीम पर रोक लगाने से संबंधित विधेयक को स्थायी समिति की सिफारिशों के साथ लाया गया था और लोकसभा से यह पारित भी हो चुका है।
उल्लेखनीय है कि यह विधेयक पहली बार दिसम्बर 2017 में लोकसभा में पारित हुआ था लेकिन इसके राज्यसभा में अटकने के कारण सरकार को इससे संबंधित अध्यादेश लाना पड़ा था। इसके बाद सरकार ने संशोधित विधेयक नए सिरे से लोकसभा में पेश किया था। यह लोकसभा से दोबारा पारित हो गया लेकिन राज्यसभा में यह एक बार फिर अटक गया जिसके चलते सरकार को फिर से अध्यादेश लाना पड़ा है।
इस अध्यादेश में तीन तलाक से पीडित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा का प्रावधान किया गया है। इससे तीन तलाक की कुप्रथा पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
मोदी सरकार तीन तलाक को बहुमत के बल पर लोकसभा में पारित करा लेती है लेकिन राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के कारण यह अटक जाता है। विपक्ष विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर अड़ा हुआ है और वह इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग कर रहा है।