नई दिल्ली। सरकार ने पीएम गति शक्ति अवसंरचना के निर्माण को सुलभ करने के लिए रेलवे की खाली भूमि के उपयोग को लेकर पुरानी नीति को आज बदल दिया जिसके तहत आवंटी को अब भूमि के बाज़ार मूल्य के छह प्रतिशत सालाना की बजाय एक चौथाई यानी डेढ़ प्रतिशत वार्षिक शुल्क देना होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आज हुई बैठक में कार्गो संबंधी गतिविधियों, जन उपयोगिताओं और रेलवे के विशेष इस्तेमाल हेतु रेलवे की भूमि नीति को संशोधित करने के रेल मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की। रेलवे के पास करीब 0.62 लाख हेक्टेयर भूमि उपलब्ध है जिसमें कंटेनर निगम लिमिटेड के पास 26 शहरों में 250 हेक्टेयर भूमि शामिल है।
सरकार का मानना है कि इससे रेलवे को और ज्यादा कार्गो आकर्षित करने में मदद मिलेगी, माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी एवं राजस्व में वृद्धि होगी और इससे इस उद्योग की लॉजिस्टिक्स लागत कम होगी।
रेलवे की भूमि नीति में बदलाव से सभी पक्षकारों के लिए ज्यादा कार्गो संबंधी सुविधाएं स्थापित करने के रास्ते खुलेंगे और रेलवे के लिए अतिरिक्त कार्गो यातायात एवं माल ढुलाई राजस्व पैदा करने में उनकी भागीदारी की राह भी बनेगी।
पीएम गति शक्ति कार्यक्रम में बिजली, गैस, पानी की आपूर्ति, दूरसंचार केबल, सीवेज निपटान, नालियां, ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी), पाइपलाइन, सड़क, फ्लाईओवर, बस टर्मिनल, क्षेत्रीय रेल परिवहन, शहरी परिवहन जैसी जन उपयोगिताओं के सरल एवं एकीकृत तरीके से विकास में मदद मिलेगी। इस नीतिगत संशोधन से रोजगार के लगभग 1.2 लाख अवसर पैदा होंगे। इसका कोई अतिरिक्त खर्च नहीं होगा।
रेलवे की इस संशोधित भूमि नीति के अंतर्गत प्रति वर्ष बाजार मूल्य के 1.5 प्रतिशत की दर से 35 वर्ष तक की अवधि के लिए कार्गो से संबंधित गतिविधियों के लिए रेलवे की भूमि लंबी अवधि के पट्टे पर प्रदान की जाएगी।
इतना ही नहीं, कार्गो टर्मिनलों के लिए रेलवे भूमि का वर्तमान में उपयोग कर रही संस्थाओं के पास भी पुन: पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया से नई नीति व्यवस्था अपनाने का विकल्प मिलेगा। इससे उन पर वित्तीय भार कम हो सकेगा।
नई नीति में प्रत्येक वर्ष डेढ़ प्रतिशत राशि में छह प्रतिशत वार्षिक की उत्तरोत्तर वृद्धि होगी। पुरानी नीति में आवंटी से भूमि के बाज़ार मूल्य का छह प्रतिशत शुल्क लिया जाता था। लेकिन वह नीति अधिक लागत के कारण कामयाब नहीं हुई।
नयी नीति में ऑप्टिकल फाइबर केबल्स (ओएफसी) और अन्य छोटे व्यास वाली भूमिगत उपयोगिताओं के लिए, रेलवे ट्रैक पार करने के लिए 1000 रुपए का एकमुश्त शुल्क लिया जाएगा। इस नीति में रेलवे की जमीन पर सौर अथवा पवन ऊर्जा संयंत्र लगाने, अस्पताल बनाने, जलशाेधन संयंत्र लगाने, केन्द्रीय विद्यालय स्थापित करने जैसे जन कल्याण कारी कार्यों के लिए प्रति वर्ष 1 रुपया प्रति वर्गमीटर के मामूली शुल्क पर रेलवे की जमीन के इस्तेमाल का प्रावधान है।
सरकार का लक्ष्य है कि अगले पांच वर्षों में 300 पीएम गति शक्ति कार्गो टर्मिनल विकसित किए जाएंगे। मंत्रिमंडल की मंजूरी के 90 दिनों के भीतर व्यापक नीतिगत दस्तावेज तैयार करके लागू किया जाएगा जिसमें उक्त जन उपयोगिताओं की स्थापना के लिए मंजूरियों को सरल किया जाएगा।
रेल परिवहन का एक कुशल साधन है इसलिए रेल द्वारा ज्यादा माल ढुलाई करना आवश्यक है ताकि उद्योग की लॉजिस्टिक्स लागत को कम किया जा सके। माल ढुलाई में रेल के सामान्य हिस्से को बढ़ाने के लिए और ज्यादा कार्गो टर्मिनलों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए भूमि नीति को संशोधित करने की आवश्यकता महसूस की गई है।