कोलकाता। कोलकाता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उन दो लोगों को राजद्रोह के आरोप से बरी कर दिया जिन्हें इस मामले में एक निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
संतोष देबनाथ और पतितपाबन हलदार को मोओवादी चरमपंथी होने के संदेह में गिरफ्तार किया गया था और झारग्राम जिला सत्र अदालत ने वर्ष 2005 में दोनों को राजद्रोह मामले में दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
इसके बाद दोनों ने जिला सत्र अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया। कोलकाता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सुभ्रा घोष की पीठ ने शुक्रवार को दोनों को राजद्रोह के आरोप से बरी कर दिया।
देबनाथ और हलदार के साथ सुशील रॉय नाम के एक और व्यक्ति को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था जिसे झारग्राम जिला सत्र अदालत ने आजीवन कारावास की की सजा सुनाई थी। सुशील रॉय की जेल में मौत हो गई थी।