कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के मद्देनजर राज्य के पूजा पंडालों में आम लोगों के प्रवेश पर रोक लगाने संबंधी साेमवार के अपने आदेश में ढील देते हुए बुधवार को पूजा पंडालों में एक साथ 45 लोगों को जाने की अनुमति दे दी।
न्यायालय की दो सदस्यीय युगलपीठ ने मामले करते हुए आंशिक ढील देने का आदेश सुनाया। करीब 400 विभिन्न पूजा समितियों और तीन पूजा आयोजकों के संयुक्त मंच दुर्गाेत्सव ने आदेश मेें संशोधन करने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी।
न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की पीठ ने सोमवार को दिये अपने आदेश को संशोधित किया और एक बार में 45 लोगों को प्रवेश देने की अनुमति दे दी। न्यायालय ने कहा है कि पारंपरिक ढोल वादकों ‘ढाकिस’ को, प्रत्येक पंडाल में नो-एंट्री ज़ोन के बाहर सीमित संख्या में प्रदर्शन करने की अनुमति होगी।
पीठ ने कहा कि अनुमति प्राप्त व्यक्तियों की सूची दैनिक आधार पर तय की जानी चाहिए। इन सूचियों को पंडालों के बाहर प्रतिदिन सुबह 8 बजे लगाया जाएगा।
बड़े पंडाल जिनका क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर से अधिक है 60 लोगों तक की सूची बना सकते हैं लेकिन एक समय में 45 से अधिक लोगों को अनुमति नहीं दी जा सकती है। छोटे पंडाल में 15 लोगों को सूचीबद्ध किया जा सकता है।
अदालत ने आयोजकों की उस अपील पर कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया जिसमें दो महत्वपूर्ण अनुष्ठानों अंजलि और सिंदूर खेला को अनुमति देने का अनुरोध किया गया था।
गौरतलब है कि सोमवार को, उच्च न्यायालय ने कहा था कि पंडालों के अंदर केवल आयोजकों को जाने की अनुमति दी जाएगी और बड़े पंडालों में 25 तथा छोटे पंडालों में 15 आयोजकों को ही अनुमति दी जाएगी।