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Calling for discipline these days is branded 'autocratic' says pm modi -नायडू अनुशासन, जिम्मेदारी और जवाबदेही की मिसाल : मोदी - Sabguru News
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नायडू अनुशासन, जिम्मेदारी और जवाबदेही की मिसाल : मोदी

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नायडू अनुशासन, जिम्मेदारी और जवाबदेही की मिसाल : मोदी
Calling for discipline these days is branded 'autocratic' says pm modi
Calling for discipline these days is branded 'autocratic' says pm modi
Calling for discipline these days is branded ‘autocratic’ says pm modi

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने अपने कार्यकाल के एक साल का लेखा- जोखा पुस्तक के माध्यम से प्रस्तुत कर सार्वजनिक जीवन में अनुशासन, जवाबदेही, कर्तव्य निर्वहन और पारदर्शिता की अनोखी मिसाल पेश की है।

नायडू के उपराष्ट्रपति के रूप में पहले साल के कार्यकाल पर आधारित पुस्तक, मूविंग ऑन… मूविंग फॉरवर्ड, वन ईयर इन ऑफिस का रविवार को यहां विमोचन करने के बाद मोदी ने कहा कि यह सराहनीय है कि नायडू ने एक तरह से अपने कार्यकाल के एक साल का रिपोर्ट कार्ड दिया है। पुस्तक में संसद और उसके बाहर नायडू के योगदान का उल्लेख किया गया है।

उन्होंने कहा कि यह एक अच्छा प्रयास है और इससे संसद में जनहित के लिए किए जा रहे कार्यों को लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। नायडू का स्वभाव अनुशासन और दायित्व के निर्वहन की भावना से परिपूर्ण है और उन्होंने इसे सार्वजनिक जीवन में पूरी तरह अपनाया है।

पिछले एक साल में उन्होंने संसद के उच्च सदन का बडे अच्छे तरीके से संचालन किया है और उनकी हमेशा कोशिश रहती है कि सदन में देशहित के मुद्दों विशेष रूप से गांव और किसान से जुडे मुद्दों पर सार्थक चर्चा हो।

उन्होंने कहा कि नायडू के कार्यकाल के शुरू में यदि सदन सुचारू ढंग से चलता तो उनकी क्षमताओं को जानने का अवसर नहीं मिलता लेकिन जिस तरह से हंगामे के दौरान उन्होंने सदन को चलाया इससे उनके कार्य अनुभव और कार्य क्षमता का पता चलता है।

मोदी ने कहा कि नायडू ने अपने 40 साल के राजनीतिक जीवन में पार्टी में अध्यक्ष पद से लेकर जो भी छोटी बड़ी जिम्मेदारी मिली उसका हमेशा परिश्रम और लगने के साथ निर्वहन किया। इससे पता चलता है कि नायडू ने पदभार से ज्यादा कार्यभार को प्राथमिकता दी है। वह हर कार्य को अनुशासन और जिम्मेदारी के साथ करते हैं।

नायडू के अनुशासनप्रिय होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे उप राष्ट्रपति अनुशासनप्रिय हैं लेकिन हमारे देश में अनुशासन को अक्सर निरंकुशता का प्रतीक मान लिया जाता है। जो भी अनुशासन लागू करना चाहता है वह मुसीबत में पड़ सकता है।

किसानों के कल्याण और गांवों के विकास के लिए नायडू की प्रतिबद्धता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जब भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र में सरकार बनी तो नायडू ने खुद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से कहा कि उन्हें कोई भारी भरकम मंत्रालय नहीं ग्रामीण विकास मंत्रालय चाहिए। प्रधानमंत्री सड़क योजना को अमली जामा पहनाने में भी नायडू ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमाेहन सिंह ने कहा कि नायडू के उप राष्ट्रपति बनने से देश को उनके लंबे राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव का लाभ मिला है और आगे भी मिलता रहेगा। उन्होंने कहा कि नायडू ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुडे होने के कारण देश की जमीनी हकीकतों और जरूरतों से बखूबी वाकिफ हैं।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि नायडू में रूचिपूर्ण और सार्थकता के साथ अपनी बात रखने की जबरदस्त क्षमता है। अनुशासन के साथ साथ जिम्मेदारी के साथ कार्यों को करने की उनकी प्रवृति से उनकी नेतृत्व क्षमता का पता चलता है।

इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौडा, भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, वित्त मंत्री अरूण जेटली और राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता अानंद शर्मा भी मौजूद थे।