लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट के कड़े रुख को देखते हुए उन्नाव के बहुचर्चित बलात्कार काण्ड के आरोप में केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने भारतीय जनता पार्टी विधायक कुलदीप सेंगर को 17 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया।
सीबीआई ने सेंगर को शुक्रवार तड़के करीब पांच बजे लखनऊ स्थित उनके घर से हिरासत में लिया था। सीबीआई उनसे लगातार पूछताछ कर रही थी। उन्हें उन्नाव भी ले गई थी। न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए सीबीआई से कहा था कि हिरासत नहीं, आरोपी विधायक को गिरफ्तार करो।
राज्य के प्रमुख सचिव गृह अरविन्द कुमार ने सेंगर की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बताया कि आरोपी विधायक को हिरासत में लेने के बाद सीबीआई ने गहन पूछताछ की। पूछताछ के आधार पर रात करीब दस बजे उसे गिरफ्तार कर लिया।
हालांकि, सेंगर तड़के पांच बजे से ही सीबीआई की हिरासत में था। सीबीआई की टीम उसे उन्नाव ले गयी। माखी थाने के पुलिसकर्मियों से भी पूछताछ की। सीबीआई ने पूछताछ के आधार पर सेंगर को गिरफ्तार कर लिया। सेंगर को कल अदालत में पेश किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कल ही इस मामले की जांच सीबीआई के सुपुर्द किया था। जांच मिलते ही सीबीआई हरकत में आ गई। रात तीन बजे सीबीआई की टीम के साथ स्थानीय पुलिस अधिकारियों की बैठक हुई और तड़के पांच बजे सेंगर सीबीआई की हिरासत में था।
विधायक ने सीबीआई टीम के साथ जाने में थोडा हीलाहवाली की लेकिन टीम के रुख को देखते हुए उन्होंने जाना ही मुनासिब समझा।
इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए सेंगर को अविलंब गिरफ्तार करने के निर्देश दिये थे। मुख्य न्यायाधीश डी बी भोंसले और न्यायाधीश सुनीत कुमार की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए आज यह आदेश दिया था। युगल पीठ ने कहा कि आरोपी की हिरासत पर्याप्त नहीं है, उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। न्यायालय ने दो मई तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है। सीबीआई ने पीडित परिवार से भी पूछताछ की अौर उनका पक्ष जाना।
न्यायालय ने कहा था कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को पूछताछ के लिए बुलाया है, लेकिन गिरफ्तारी नहीं की है। उसे अविलंब गिरफ्तार किया जाये। महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने पीठ काे बताया कि सीबीआई ने सुबह भाजपा विधायक को हिरासत में ले लिया है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सीबीआई अथवा अन्य जांच एजेंसियों को विधायक और अन्य आरोपियों को बगैर देरी किए गिरफ्तार करना चाहिए।
न्यायालय ने कल मामले की सुनवाई करते हुए पूछा था कि उत्तर प्रदेश सरकार भाजपा विधायक को कब गिरफ्तार करेगी। पीड़िता का आरोप है कि बांगरमऊ के विधायक ने पिछले साल 17 जून को उसके साथ बलात्कार किया था। उसके पिता को विधायक के भाई और समर्थकों ने मारा पीटा भी था, जिस कारण उनकी पिछले सोमवार को न्यायिक हिरासत में मृत्यु हो गई थी।
महाधिवक्ता ने पीठ को बताया कि 17 अगस्त 2017 को मुख्यमंत्री कार्यालय में एक आवेदन भेजा गया था। आवेदन में विधायक के विरुद्ध बलात्कार के आरोप लगाये गए थे। आवेदन को उचित कार्रवाई के लिए उन्नाव में संबंधित अधिकारियों को भेज दिया गया था। महाधिवक्ता की इस दलील पर पीठ ने सवाल किया कि इस मामले में और क्या किया गया, क्या अब तक कोई गिरफ्तारी की गई है।
खंडपीठ और महाधिवक्ता के बीच इस मामले पर काफी लंबी बहस हुई। कई बार खंडपीठ का रुख काफी तल्खी वाला रहा। विधायक के खिलाफ 11 अप्रेल की रात बलात्कार और पास्को एक्ट सहित कई धाराओं में मुकदमें दर्ज किए गए थे। इससे पहले अपर पुलिस महानिदेशक लखनऊ जोन राजीव कृष्ण की अध्यक्षता में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट के आधार पर विधायक के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की गई।
सीबीआई को बलात्कार के साथ ही पीड़िता के पिता की मृत्यु की जांच भी सौंपी गई है। सीबीआई बलात्कार मामले में दर्ज रिपोर्ट के साथ ही तीन अप्रैल को दर्ज दो और मुकदमों की जांच भी करेगी। पुलिस के अनुसार बलात्कार की घटना गत वर्ष चार जून हो हुई थी लेकिन पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयान में विधायक का जिक्र नहीं किया था, इसलिए विधायक के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई थी।
यह मामला उस समय सुर्खियों में आ गया जब पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के पास पिछले सप्ताह आत्ममदाह का प्रयास किया था। इसके बाद आनन-फानन में एसआईटी का गठन किया गया। एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर ही विधायक के खिलाफ उन्नाव के माखी थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई।
एसआईटी के अलावा इस मामले की जांच जेल उपमहानिरीक्षक और जिला मजिस्ट्रेट उन्नाव ने भी की थी। इन कमेटियों की जांच के आधार पर इस मामले में पुलिस उपाधीक्षक कुंवर बहादुर सिंह सहित छह पुलिसकर्मी और दो डाक्टरों को निलम्बित कर दिया गया था। तीन डाक्टरों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है।
बलात्कार की घटना के बाद तीस जून 2017 को पीड़िता के चाचा उसे लेकर दिल्ली चले गये थे। इस सम्बंध में पहली रिपोर्ट पीड़िता ने 17 अगस्त 2017 को दर्ज कराई थी। पीड़िता के चाचा ने आरोप लगाया था कि मुकदमे की वापसी के लिए उसके भाई(पीड़िता के पिता) पर दबाव बनाया जा रहा था। मुकदमा वापस नहीं लेने के कारण उसके भाई को मारा पीटा और फर्जी मुकदमों में जेल तक भिजवा दिया। उन्हें इतना मारा गया था कि जेल से अस्पताल लाने पर उनकी मृत्यु हो गई थी।
पुलिस के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि जेल जाने से पहले और जेल में जाने के बाद पीड़िता के पिता की समुचित चिकित्सा नहीं की गई इसलिए अस्पताल के मुख्य चिकित्साधीक्षक और इमरजेंसी मेडिकल अफसर को निलम्बित कर दिया गया जबकि तीन अन्य डाक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया।
मामले के सुर्खियों में आने पर विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना शुरु कर दी थी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के 11 अप्रेल के दौरे के समय भी यह मामला उठा था। पार्टी सूत्रों के अनुसार सरकार ने उसी समय तय कर लिया था कि मामले की जांच सीबीआई को दे दी जाए।
उधर, सेंगर की गिरफ्तारी पर पीड़ित परिवार ने खुशी जाहिर की। पीड़िता ने कहा कि उसे खुशी है कि विधायक गिरफ्तार हुआ। यह सभी के सहयोग से ही संभव हुआ।
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