नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने देश में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी जहाजरानी कंपनियों में से एक एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड के खिलाफ करीब 23 हजार करोड़ रुपए की घोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने रविवार को अपने ट्वीटर पर एक बयान में यह जानकारी दी।
जांच एजेंसी का कहना है कि कंपनी ने निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक के नेतृत्व में 28 बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिए गए कर्ज में 22,842 की धोखाधड़ रुपए की धांधली की है। करने का मामला दर्ज किया है।
इस बीच सरकारी क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक ने एक बयान में कहा कि एबीजी शिपयार्ड 15 मार्च 1985 को गठित की गई थी और वह 2001 बैंकिग सुविधा ले रही थी। उसे दो दर्जन से अधिक बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने मिल कर उधार देने की व्यवस्था की थी और इस कर्ज व्यवस्था का नेतृत्व आईसीआईसीआई बैंक कर रहा था।
कंपनी खराब प्रदर्शन के कारण कंपनी के खाते को 30 नवंबर 2013 को एनपीए (अवरुद्ध) घोषित कर दिया गया था। कंपनी को पुनर्जीवित करने के लिए कई प्रयास किए गए लेकिन सफल नहीं हो सके।
मार्च 2014 में सभी उधारदाताओं द्वारा सीडीआर तंत्र के तहत खाते का पुनर्गठन किया गया था। उसके विफल होने के कारण, खाते को 30 नवंबर 2013 से पिछली तारीख के प्रभाव के साथ जुलाई 2016 में एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
बैंक ने कहा है कि अप्रैल 2018 के दौरान बैंकों ने कंपनी के खातों की फोरेंसिक आडिट कराने का निर्णय किया था और द्वारा ईएंडवाई को ऑडिटर के रूप में नियुक्त किया गया था। उसने जनवरी 2019 में रिपोर्ट दी थी। ईएंडवाई की रिपोर्ट 18 बैंकों की धोखाधड़ी पहचान समिति के समक्ष रखी गई। बैंक ने कहा है कि रिपोर्ट में मुख्यत: कंपनी में धन के विचलन, गबन और आपराधिक विश्वासघात को ले कर धोखाधड़ी की बात कही गई थी।
कंपनी को कर्ज देने वालों में आईसीआईसीआई बैंक कंसोर्टियम में प्रमुख ऋणदाता था और आईडीबीआई दूसरे नंबर पर था। पर इनमें एसबीआई सबसे बड़ा सरकारी बैंक था इसलिए तय किया गया था कि इस मामले में शिकायत सीबीआई दर्ज कराए। सीबीआई के पास पहली शिकायत नवंबर 2019 में दर्ज की गई थी। सीबीआई और बैंकों के बीच लगातार जुड़ाव था और आगे की जानकारी का आदान-प्रदान हो रहा था।