नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की 10वीं एवं 12वीं की बची परीक्षाएं रद्द करने और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर परीक्षाफल जारी करने संबंधी याचिका की सुनवाई 25 जून तक के लिए स्थगित कर दी।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की खंडपीठ ने मानव संसाधन मंत्रालय और सीबीएसई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर सुनवाई गुरुवार अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
मेहता ने कहा कि सरकार इस मसले पर विचार कर रही है और बुधवार शाम तक इस पर निर्णय ले लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि निर्णय की प्रक्रिया काफी आगे पहुंच चुकी है। कल शाम तक औपचारिक निर्णय ले लिया जाएगा। हम विद्यार्थियों की चिंता से वाकिफ हैं। हम कोर्ट को निर्णय के बारे में परसों सूचित कर सकते हैं।
इसके बाद न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा कि वह गुरुवार दो बजे मामले की सुनवाई करेंगे। न्यायमूर्ति खानविलकर ने गुप्ता से कहा कि स्थिति बहुत ही असाधारण है। यदि सरकार कोई निर्णय लेती है और आपको सूचित करती है तो कृपया इसे गम्भीरता से लीजिएगा। आप (आईसीएसई) स्वायत्त निकाय हैं इसलिए ऐसा न हो कि आप निर्णय को न मानें। इस पर गुप्ता ने कहा कि हम निर्णय का सम्मान करेंगे। इसके बाद न्यायालय ने आईसीएसई को याचिका की एक प्रति मेहता को सौंपने का आदेश दिया।
अमित बाथला के नेतृत्व में अभिभावकों के एक समूह ने शेष परीक्षाओं का प्रस्तावित आयोजन रद्द करने तथा आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर परीक्षाफल जारी करने को लेकर शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। इस याचिका पर गत 17 जून को न्यायालय ने सीबीएसई से इस बारे में विचार करने और आज तक इस बारे में अवगत कराने को मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा सीबीएसई से कहा था।
न्यायालय ने कहा था कि बोर्ड विद्यार्थियों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक देने के बारे में सोचे। याचिकाकर्ताओं ने कोरोना महामारी की खराब स्थिति के मद्देनजर सीबीएसई से शेष बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि सीबीएसई उत्तर पूर्व दिल्ली में हिंसा के कारण रद्द हुई 10वीं की परीक्षाएं और कोरोना महामारी के कारण रद्द हुई 12वीं की शेष परीक्षाएं एक से 15 जुलाई तक आयोजित कर रहा है, जिसके खिलाफ अभिभावक शीर्ष अदालत पहुंचे हैं।