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Ceiling plaster of another House fall in Mount Abu, local officers creat hurdles in reliefgive relief - Sabguru News
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माउंट आबू में एक के बाद एक गिर रहे भवनों के प्लास्टर, सरकार पर हावी अधिकारी अटकाए हैं राहत

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माउंट आबू में एक के बाद एक गिर रहे भवनों के प्लास्टर, सरकार पर हावी अधिकारी अटकाए हैं राहत
Mount abu tod rock


सबगुरु न्यूज-सिरोही। दो दिन पहले माउंट आबू में देलवाड़ा में एक और पुराना भवन का छत का प्लास्टर भरभरा कर गिर गया। बारिश के बाद हर साल ये हादसे आम हैं।

हाल ही में देलवाड़ा में जो मकान का प्लास्टर गिरा वो जर्जर हो चुका था। इसस पहले भी कई जर्जर भवनों की सीलिंग के प्लास्टर, दीवारे, छज्जे आदि गिर चुके हैं। इन मरम्मतों की अनुमति के काम लिमबड़ी कोठी के कई तल निर्माण करवाने की अनुमति देने वाले उपखण्ड अधिकारी के पास है।

पिछली सरकार में जोनल मास्टर प्लान पास होने के बाद करीब 35 साल बाद 2019 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा रतन देवासी की चुनावी सभा मे बामनवाड में बिल्डिंग बायलॉज और मुख्यमंत्री सलाहकार संयम लोढ़ा के प्रयासों से इस अप्रेल में एस-टू जोन पास हो गया था। इसके बाद नए निर्माण और पुराने जर्जर भवनों के पुनर्निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया था।

लेकिन, एस टू जोन के सीमांकन पर मांगी गई राय को मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा द्वारा पारित करवाने तथा सीटीपी और एसटीपी द्वारा स्वीकृत किये जाने के बाद भी माउंट आबू एटीपी ने इसे महीनों लटकाए रखे। अब भवन निर्माण समिति की बैठक के बाद उपखण्ड अधिकारी और आयुक्त की मौजूदगी में नए निर्माण की 6 पत्रावलियों को अनुमोदित कर दिया है तो फिर से माउंट आबू नगर पालिका एटीपी इसे एक महीने से अटकाये हुये है।

ये हाल तब हैं जब इन्ही एटीपी की मौजूदगी में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के विपरीत नो कंस्ट्रक्शन जोन में लिमबड़ी कोठी का पूरा का पूरा नक्शा और ऊंचाई बदल दी गई है। जबकि ईको सेंसेटिव ज़ोन के तहत बनाई गई मोनिटरिंग कमिटी की प्रोसिडिंग के अनुसार ऐसा किया नहीं जा सकता है। जिस तरह एटीपी के पास अटकी पत्रावलियो की वजह से निर्माण इजाजत जारी नहीं हो रही है उससे ये ही लग रहा है कि उस अवैध निर्माण की इजाजत भी एटीपी की अनुमति के बिना जारी नहीं हुई होगी।

– अब तक नहीं मिला स्वीकृत नक्शा
भवन निर्माण समिति के द्वारा पत्रावलियाँ अनुमोदित किये जाने के बाद भी गहलोत सरकार की मंशानुसार कांग्रेस बोर्ड लोगों को राहत नहीं दिलवा पाया है। इन छह पत्रावलियों में से एक पत्रावली के पीड़ित ने बताया कि वो इस सम्बंध में उपखण्ड अधिकारी से भी मिले लेकिन, फिलहाल तो कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है।

-जेपी नड्डा को लजा रहे सिरोही के भाजपाई
माउंट आबू के स्थानीय अधिकारियों को अशोक गहलोत के निजाम से तो कोई डर है नहीं। लेकिन, ऐसे मुद्दों पर सत्ताधारी पार्टियों के निरंकुश अधिकारियों पर लगाम कसने वाला विपक्ष और भी नकारा है।
माउंट आबू में करीब दो महीने पहले हुए भाजपा के प्रदेश स्तरीय प्रशिक्षण शिविर माउंट आबू में हुआ था। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने भाषण में कहा था कि भाजपा को जनहित से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाना चाहिए। लेकिन, भाजपा के यहाँ जो हालात है उससे ये लग रहा है कि नड्डा के निर्देश उनके निजी हितों के आगे बेमानी है।

यहाँ पर नड्डा के कहे कि पालना करने की बोर्ड में जिम्मेदारी नगर पालिका में नेता प्रतिपक्ष को दे रखी है। लेकिन, मजाल क्या कि वो विरोध के लिए धरने प्रदर्शन या उच्चाधिकारियों तक माउंट आबू की समस्या पहुंचाने को आगे आये हों।

जिले में सरकार के दो प्रतिनिधि सीधे जुड़े हैं। प्रभारी मंत्री का माउंट आबू और सिरोही में देर से ही सही लेकिन, दौरा होता रहता है। मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा को खुद इसी जिले के विधायक हैं।

लेकीन, हर स्तर पर मिल चुकी राहत को स्थानीय अधिकारियों द्वारा आम आदमी तक पहुंचने से रोकने की शिकायत न तो माउंट आबू के पार्षद के नेतृत्व में नेता प्रतिपक्ष ने इन लोगों तक अब तक पहुंचाई है और न ही माउंट आबू भाजपा मंडल में सदस्यों और पदाधिकारियों ने।
इसके विपरीत वसुंधरा राजे के राज में कांग्रेस के दबाव में माउंट आबू का जोनल मास्टर प्लान पास हो गया था। अब भाजपा ऐसे कमजोर नेताओं के भरोसे चुनावी बैतरणी पार करने के सपने संजोए हुए है। वैसे सांसद देवजी पटेल ने भी अपने वायरल्ड वीडियो में ‘व्यवहार’ बोलकर भाजपा की मजबूरी को सामने ला दिया था।
-इनका कहना है…
ये पत्रावलियाँ एटीपी के पास पड़ी हुई हैं। अभी तक उन्होंने पारित नहीं की। आयुक्त छुट्टी पर हैं। उनके आते ही उन्हें जल्द से जल्द पूर्व में संस्तुति की गई पत्रवलियों के नक्शे जारी करने और अगली बैठक करवाने का पत्र दिया जाएगा।
नारायण सिंह भाटी
अध्यक्ष, भवन निर्माण समिति, माउंट आबू।