पुन्हाना। प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती, इस कहावत को सिद्ध करती हैं मात्र 13 साल की मोनल खरबंदा। पुन्हाना गुरुद्वारा के तीसरे स्थापना दिवस के उपलक्ष में आयोजित समारोह के समापन दिवस पर मोनल ने अपनी सुमधुर आवाज़ में जब शबद कीर्तन प्रस्तुत किए तो साध संगत निहाल हो गई।
मोनल इन दिनों संगीत शिक्षक भीम मेहता से संगीत की शिक्षा ले रही है। मोनल की माता दीप्ती खरबंदा बताती हैं कि मोनल को बचपन से ही संगीत का शौक रहा है। परिवार के धार्मिक वातावरण को देखते हुए मोनल ने बचपन से ही धार्मिक भजन कीर्तन गुनगुनाना शुरू कर दिया था। समय के साथ मोनल की प्रतिभा में निखार आता गया और अब वे विभिन्न वाध्य यंत्रों के साथ गुरुद्वारा और अन्य धार्मिक-सामाजिक आयोजनों में भजन-कीर्तन की प्रस्तुति देती हैं।
शबद गायन के क्षेत्र में पूजा सीकरी का नाम तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। सहयोगी स्वभाव और गुरु के प्रति अटूट श्रद्धा भाव रखने वाली पूजा सीकरी जब अपनी सुमधुर आवाज़ की कीर्तन प्रस्तुत करती हैं तो सभी श्रद्धालु मंत्रमुग्ध भाव से उसका श्रवण करते हैं। पूजा न सिर्फ स्वयं गायन करती हैं, वरन सुर और लय के साथ अपने सहयोगी गायकों का भी मार्गदर्शन करती हैं।
शबद-कीर्तन गायक गौरव आहूजा के शबदो में तो जैसे कमाल का जादू था। पूरी संगत जिस तल्लीनता के साथ गौरव के भजनों का आनन्द ले रही थी, वह क्षण अलौकिक था। गौरव के साथ संगत भी शबद को गुनगुनाती रही।
पूरे समारोह में हिमांशु ग्रोवर का तबला वादन भी आकर्षण का मुख्य केन्द्र रहा। हिमांशु जब तबले की थाप के साथ शबद कीर्तन में अपनी प्रस्तुति देते हैं तो मानो सुर के भी शब्द निकल पड़ते हैं। स्थापना दिवस समारोह के दौरान जब भी कीर्तन हुआ, तबले पर संगत हिमांशु ने ही दी।
इन तीनों के संगीत गुरु भीम मेहता हैं, जो विभिन्न वाध्य यंत्रों को बजाने में माहिर हैं। मेहता पिछले तीन साल से गुरुद्वारा साहेब में नई प्रतिभाओं को तराशने का कार्य कर रहे हैं। पुन्हाना और आस-पास के क्षेत्रों से अनेक शिष्य इनके पास प्रशिक्षण और संगीत साधना के लिए आते हैं।