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भक्तों की आस्था पर गिरी आकाशीय बिजली - Sabguru News
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भक्तों की आस्था पर गिरी आकाशीय बिजली

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भक्तों की आस्था पर गिरी आकाशीय बिजली
Celestial lightning strikes in haridwar har ki pauri
Celestial lightning strikes in haridwar har ki pauri
Celestial lightning strikes in haridwar har ki pauri

सबगुरु न्यूज। कोरोना महामारी ने वर्षों से चली आ रही हमारे देश में धार्मिक परंपराओं को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। इस महामारी की वजह से आज भी देश के कई धार्मिक स्थलों पर पाबंदियां लगी हुई हैं। भक्त अपने भगवानों से न दर्शन कर पा रहा है, न आशीर्वाद ले पा रहा है । लेकिन आज हरिद्वार की हर की पैड़ी में प्राकृतिक आपदा के कहर से देशभर के भक्त सहम गए। हर की पैड़ी में आकाशीय बिजली गिरेगी, किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। हरिद्वार का नाम आते ही भक्तों में आस्था और भक्ति का सैलाब उमड़ता रहा है। आकाशीय बिजली गिरने के बाद हर की पौड़ी में जो मंजर दिखाई दिया वह बहुत ही खौफनाक था। आकाशीय बिजली गिरने से प्रसिद्ध हर की पैड़ी की दीवार ढह गई।

दीवार गिरने से हर की पौड़ी पर स्थित मंदिरों तक मलवा चारों तरफ फैल गया। गनीमत यह रही कि दीवार रात के वक्त गिरी और इस दौरान कोई आसपास नहीं था। प्राकृतिक आपदा ने उस स्थान को अपना निशाना बनाया, जहां हर रोज हजारों की संख्या में भक्त स्नान करते हैं। एक तो वैसे ही कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप से भगवान ने भक्तों के लिए अपने कपाट पहले ही बंद कर रखे हैं दूसरी ओर प्राकृतिक आपदाएं भक्तों की आस्था पर गहरी चोट पहुंचा रही हैं। सही मायने में वर्ष 2020 में भगवान अपने भक्तों का कुछ ज्यादा ही इम्तेहान ले रहे हैं। बता दें कि हर की पौड़ी पर सावन के महीने में अक्सर भीड़ रहती है, लेकिन इस बार कोरोना संकट के कारण कांवड़ियों को आने पाबंदी लगा रखी है।

धार्मिक दृष्टि से भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है सावन माह

हर वर्ष भारत देश में सावन का महीना धार्मिक दृष्टि से भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है। यह समय भगवान और भक्तों के मिलन का कहा जाता है। अमरनाथ या कैलाश मानसरोवर यात्राओं के साथ वैष्णो देवी, तिरुपति बालाजी, चार धाम यात्रा करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। लेकिन आज यहां चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ है। चारधाम के कपाट खुलने के बाद यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, क्योंकि चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं के लिहाज से पीक समय होता है और यह वही समय होता है जब चारधाम में आने वाले श्रद्धालुओं का ग्राफ तेजी से बढ़ता है।

क्योंकि इसके बाद फिर मानसून सीजन के दौरान यात्रियों की संख्या बेहद कम हो जाती है, यही नहीं मानसून सीजन के बाद यानी सितंबर-अक्टूबर महीने में एक बार फिर चारधाम की यात्रा थोड़ी रफ्तार जरूर पकड़ती है लेकिन उसके बाद फिर चारधाम के कपाट बंद होने का समय आ जाता है। इस बार सोमवती अमावस्या पर हरिद्वार, बनारस, संगम (प्रयागराज) उज्जैन में लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं, लेकिन इस बार इस महामारी पीकॉक और पाबंदियों की वजह से यह सभी पवित्र स्थल सूने नजर आए।

कोरोना की वजह से भगवान ने अपने भक्तों से बना रखी है दूरी

यह 2020 धर्म-कर्म के क्षेत्र में बहुत ही उलटफेर वाला वर्ष कहलाएगा। कोरोना महामारी की वजह से लगाई गई पाबंदियों से इस बार सैकड़ों वर्ष से चली आ रही पुरानी धार्मिक परंपराएं टूट गई हैं। सबसे पहले हम अगर बात करें तो उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद आखिरकार निकाली तो गई लेकिन श्रद्धालु अपने भगवान के रथ को नहीं खींच सके। उसके बाद सावन माह में कावड़ यात्रा पर रोक लगाई गई यही नहीं अभी भी उत्तराखंड की चार धाम यात्रा दूसरे राज्यों के श्रद्धालुओं के लिए बंद है।

वैष्णो देवी मां का दरबार हो चाहे तिरुपति बालाजी के कपाट तो खुल गए हैं लेकिन भक्तों को अपने भगवान से दूर से ही दर्शन करने की इजाजत दी गई है। ऐसे ही देश की पवित्र नदियों में भी अभी स्नान करने के लिए पूरी तरह से छूट नहीं है। भक्तों को अब अपनी शक्ति पर भरोसा उठता जा रहा है। धार्मिक रीति-रिवाजों से जकड़ा हुआ भक्त यह सोच कर कि भगवान ही उससे रूठे हुए हैं, संतोष कर ले रहा है। दूसरी ओर इस वर्ष देश के कई राज्यों में लगातार आकाशीय बिजली गिरने की कई घटनाएं सामने आ रही हैं। जान-माल के भारी नुकसान के साथ प्राकृतिक आपदाओं से लोगों की आस्थाओं से भी भरोसा कम हो रहा है।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार