सबगुरु न्यूज। देशभर में भले ही कोरोना वायरस मामले बहुत तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। इसके उलट देश में आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आती जा रही है। इस समय भारत में चौथा लॉकडाउन 18 मई से प्रारंभ हो गया है। इसके साथ ही केंद्र सरकार के कई फैसलों पर बदलाव होने लगा है। केंद्र सरकार का यह नया फैसला प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए मुसीबत बढ़ा गया है। देश में 25 मार्च से पहला लॉकडाउन शुरू हुआ था तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राइवेट कंपनियों से कहा था कि इस लॉकडाउन के दौरान अपने कर्मचारियों की सैलरी न काटे। पीएम मोदी का यह कंपनियों को सुझाव लाखों कामगारों के लिए राहत भरा संदेश बन गया था।
पहले, दूसरे और तीसरे लॉक डाउन में इस महामारी से बचने के लिए लाखों कर्मचारी घरों से ही काम करने लगे थे। वहीं हजारों छोटे-मोटे ऑफिस और दफ्तरों में ताले बंद होने से घरों में ही बैठे हुए थे, उसके बावजूद अधिकांश कंपनी संचालक अपने कर्मचारियों को कुछ न कुछ सैलरी दे रहे थे। अब मोदी सरकार ने कंपनियों को लॉकडाउन के दौरान पूरी सैलरी देने का आदेश वापस ले लिया है। भले ही चौथे लॉकडाउन में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने कई रियायतें दी हुई है लेकिन अभी भी कई प्राइवेट सेक्टरों में ताले लटके हुए हैं। खासकर जहां रेड जोन और कंटेनमेंट एरिया है वहां पर इस एरिया के लाखों कर्मचारी अभी भी घरों में कैद है। अब इन कामगारों के लिए प्राइवेट कंपनी सैलरी देने के लिए बाध्य नहीं होगी, इससे साफ जाहिर है कि अब ऐसे लोगों के लिए समस्या खड़ी हो गई है।
केंद्र सरकार के नए आदेश के बाद छोटे और बड़े उद्योगों को मिली राहत
मोदी सरकार ने लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरा वेतन देने का अपना पुराना निर्देश वापस ले लिया है। यानी अब कंपनियां इसके लिए बाध्य नहीं होंगी कि लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरी सैलरी दें। इस कदम से कंपनियों और उद्योग जगत को राहत मिली है, लेकिन कामगारों को झटका लगा है। यहां हम आपको बता दें कि गृह सचिव अजय भल्ला ने लॉकडाउन लगाए जाने के कुछ ही दिन बाद 29 मार्च को जारी दिशा निर्देश में सभी कंपनियों व अन्य नियोक्ताओं को कहा था कि वे प्रतिष्ठान बंद रहने की स्थिति में भी महीना पूरा होने पर सभी कर्मचारियों को बिना किसी कटौती के पूरा वेतन दें। यही नहीं गृह मंत्रालय ने तब यह भी निर्देश दिया था कि उन मकान मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जो लॉकडाउन के दौरान किराया न दे पाने वाले स्टूडेंट्स या प्रवासी कामगारों को मकान खाली करने के लिए दबाव बना रहे हों।
केंद्र सरकार के इस आदेश को एक प्राइवेट कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती
केंद्र सरकार के लॉकडाउन के दौरान कामगारों को सैलरी देने के आदेश को एक प्राइवेट कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस प्राइवेट कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि केंद्र सरकार लॉकडाउन के दौरान पूरी सैलरी न दे पाने वाली कंपनियों पर किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई न करे। गौरतलब है कि गृह सचिव द्वारा 29 मार्च को जारी आदेश शामिल नहीं है।
उक्त आदेश में सभी नियोक्ताओं को निर्देश दिया गया था कि किसी भी कटौती के बिना निश्चित डेट पर कामगारों को वेज का भुगतान करें, भले ही लॉकडाउन की अवधि के दौरान उनकी कॉमर्शियल यूनिट बंद हो। गृह मंत्रालय के नए निर्देश में कहा गया है कि जहां तक इस आदेश के तहत जारी परिशिष्ट में कोई दूसरा प्रावधान नहीं किया गया हो वहां आपदा प्रबंधन के तहत राष्ट्रीय कार्यकारी समिति द्वारा जारी पुराना आदेश अब अमल में न लाया जाए। इससे साफ जाहिर है कि आप छोटे और बड़े उद्योगों में काम करने वाले कामगारों के लिए लॉकडाउन में पूरी सैलरी मिलना मुश्किल हो जाएगा।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार