नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल करके विवाहेत्तर संबंध बनाने के मामले में पुरुष और महिला को समान रूप से जिम्मेदार ठहराने संबंधी याचिका का विरोध किया।
भारतीय दंड संहिता की धारा 497 के अनुसार वर्तमान में किसी महिला के पति की सहमति के वगैर पर विवाहित पुरुष के साथ संबंध बनाने के मामले में पुरुष को ही दंडित किया जाता है।
केन्द्र सरकार ने कहा कि धारा 497 विवाह की पवित्रता बचाए रखने के लिए लागू की गई थी अौर जिसे रद्द करने से वैवाहिक बंधन कमजोर होंगे।
भारतीय मूल के व्यवसायी जोसेफ शाइन की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने पांच जनवरी को धारा 497 की वैधता का परीक्षण करने के लिए यह मामला संवैधानिक पीठ को सौंप दिया था।
यह याचिका 40 वर्षीय केरल निवासी व्यवसायी जोसेफ शाइन ने दाखिल की थी जो अब इटली में बस गया है। इस मामले की सुनवाई पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ कर रही है।
शाइन ने याचिका में कहा है कि धारा 497 को रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि यह असंवैधानिक, न्यायविरुद्ध, अवैध और मनमानी है एवं इससे मौलिक अधिकारों को हनन होता है।
शाइन ने अपनी याचिका में कहा कि सुप्रीमकोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और अापराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 198 (2) को रद्द करने का निर्देश देना चाहिए क्योंकि यह असंवैधानिक, न्यायविरुद्ध, अवैध और मनमानी है तथा इससे मौलिक अधिकारों का हनन होता है।