नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पीएम केयर्स की वैधानिकता को चुनौती देने वाली तथा इसमें जमा राशि राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष (एनडीआरएफ) में जमा कराने के निर्देश देने संबंधी याचिका पर सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गैर-सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटेरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की याचिका पर सभी संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायालय ने याचिकाकर्ता को तीन दिन के भीतर अपना लिखित पक्ष रखने का निर्देश दिया। उसके बाद शीर्ष अदालत अपना फैसला सुनाएगी। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि पीएम केयर्स स्वैच्छिक फंड है, जबकि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ फंड बजट आवंटन के दायरे में हैं।
सीपीआईएल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि हम किसी पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, लेकिन पीएम केयर्स फंड का गठन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधान के विपरीत है। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ का अंकेक्षण नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा होता है, लेकिन सरकार कह रही है कि पीएम केयर्स फंड का अंकेक्षण निजी ऑडिटर द्वारा कराया जाएगा। सुनवाई पूरी करने के बाद न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
जाने माने वकील प्रशांत भूषण द्वारा सीपीआईएल के लिए दायर याचिका में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड में कोई पारदर्शिता नहीं है। वह एक निजी संस्था के तरह काम कर रही है, जिसका सीएजी से ऑडिट नहीं कराया जा सकता और उस पर जानकारी सार्वजनिक भी नहीं हो सकती। सरकार के पास आपदा से निपटने के लिए पहले से ही एक संस्था एनडीआरएफ मौजूद है। इसलिए पीएम केयर्स फंड का पैसा उसमे हस्तांतरित कर देना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल मार्च में ट्वीट के ज़रिये अपील करके कहा था कि कोविड-19 जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपात राहत कोष (पीएम-केयर्स फंड) की स्थापना की जा रही है और लोग उसमें दान करें।