नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि सरकार ने संसद में शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष को सोची समझी रणनीति के तहत बोलने का मौका नहीं दिया ताकि वह बिना चर्चा और बिना विरोध के अपने एजेंडे से जुड़े विधेयकों को पारित करवा सके।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने बुधवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार ने विपक्षी दलों की एकता को तोड़ने का पूरा प्रयास किया लेकिन पूरे सत्र के दौरान विपक्ष एकजुट बना रहा और भारतीय जनता पार्टी की मंशा को पूरा नहीं होने दिया।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के 12 सदस्यों का निलम्बन और फिर उन्हें वापस नहीं लेने के मुद्दे पर सरकार ने सोची समझी रणनीति के तहत विपक्ष की बात नहीं सुनी। उनका कहना था कि सरकार अपने एजेंडे को साधने वाले सारे विधेयक बिना चर्चा और विपक्षी दलों के दखल के बिना पारित कराने की सोच के तहत शीतकालीन सत्र में आई और उसने मनमाने तथा अलोकतांत्रिक तरीके से विधेयक भी पारित कराए हैं।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सरकार जानती थी कि राज्यसभा में आंकड़ों के खेल में वह कमजोर है। विपक्ष को साथ लेकर नहीं चलने से उसकी योजना बेकार हो जाएगा और कांग्रेस सहित कोई भी विपक्षी दल उसकी योजना पर चलने वाला नहीं है इसलिए सोची समझी रणनीति के तहत विपक्ष के सदस्यों को निलम्बित किया गया और इस बारे में विपक्ष की एक भी बात नहीं सुनी गई। उनका कहना था कि वह विपक्षी दलों के नेताओं के साथ कई बार सभापति से मिले लेकिन वह एक ही बात पर अड़े रहे कि निलम्बित सदस्य क्षमा मांगे।
उन्होंने कहा कि शीतकालीन सत्र में सरकार अलोकतांत्रिक तरीके से सारे काम करती रही है। सदन चल नहीं रहा था फिर भी विधेयक पारित करवाए गये। विपक्ष किसान, मजदूर, युवा, बेरोजगारी, महंगाई आदि मुद्दों पर सदन में चर्चा कराने को तैयार था और इस बारे में तैयारी करके भी आया था लेकिन सरकार ने उसे बोलने का मौका ही नहीं दिया और सदन को जानबूझकर चलने नहीं दिया और ना ही सदन चलाने की कोशिश की।