नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुरुवार को श्री सम्मेद शिखरजी को लेकर तीन वर्ष पहले जारी किए गए अपने आदेश को वापस लेते हुए झारखंड सरकार को सभी पर्यटन और इको टूरिज्म गतिविधि पर पर रोक लगाने के निर्देश दिए है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने गुरुवार को ट्विटर पर यह जानकारी देते हुए कहा कि झारखंड के पारसनाथ में स्थित जैन समुदाय का पवित्र तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखरजी को लेकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में सभी पर्यटन और इको टूरिज्म गतिविधि पर पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं। निर्देश के अनुसार इस क्षेत्र में शराब, मादक पदार्थों की बिक्री, तेज संगीत बजाना, लाउडस्पीकर का उपयोग तथा मांसाहार पर प्रतिबंध लगाने के लिए सख्ती बरतने को कहा गया है।
केंद्र सरकार ने तीन साल पहले जारी किए गए अपने आदेश को वापस लेते हुए कहा कि मंत्रालय इसकी पवित्रता और महत्व को स्वीकार करता हैं और इसे बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
पर्यावरण मंत्रालय दो पृष्ठ के जारी पत्र में लिखा कि इको सेंसेटिव जोन अधिसूचना के खंड-3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाती है, जिसमें अन्य सभी पर्यटन और इको-टूरिज्म गतिविधियां शामिल हैं। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।
सरकार इसके लिए निगरानी समिति बनाई और राज्य सरकार से कहा गया है कि वह इस समिति में शामिल होने के लिए जैन समुदाय से दो सदस्यों और स्थानीय जनजातीय समूह से एक सदस्य को स्थायी सदस्य के रूप में आमंत्रित करे।
उल्लेखनीय है कि श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन क्षेत्र घोषित किए जाने के विरोध में जैन समुदाय पिछले कुछ दिनों से आंदोलन कर रहा है। इसके खिलाफ कई जैन मुनियों ने आमरण अनशन भी शुरू कर दिया था। इसमें जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज का मंगलवार को निधन हो गया।
श्री सम्मेद शिखरजी जैन धर्मावलंबियों का पवित्र तीर्थ है। झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित श्री सम्मेद शिखरजी को पार्श्वनाथ पर्वत भी कहा जाता है। जैन समुदाय के लोग श्री सम्मेद शिखरजी के दर्शन करते हैं और 27 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले मंदिरों में पूजा-पाठ के बाद ही कुछ भोजन ग्रहण करते हैं।