सर्वाइकल दर्द क्यों होता है ? सर्वाइकल पेन के निम्न कारण हो सकते हैं -चोट लगना और एक्सीडेंट दुर्घटना के समय गर्दन में झटका लगने से गर्दन सामान्य से अधिक मुड़ जाती है जिससे गर्दन मांसपेशियों और Tissues पर प्रभाव पड़ता है। मासपेशियां कस्ती और सिकुड़ती हैं, जिससे उनमें Pain और अकड़न हो जाती है। “Degenerative disk” एक ऐसी समस्या जिसमें गर्दन की हड्डियों के बीच मौजूद डिस्क में तरल पदार्थ की कमी हो जाती है ये उम्र के साथ होने वाली बीमारि हैं इसमें रीढ़ की हड्डी पर प्रभाव पड़ता है, स्पाइनल स्टेनोसिस रीढ़ की हड्डी के अंदर की जगह का सिकुड़ना जिससे Nerves पर दबाव पड़ता है।
सर्वाइकल के लक्षण –
पीठ के ऊपरी हिस्से या गर्दन में पेन ,कंधे का दर्द, गर्दन के आसपास मांसपेशियों में अकड़न, ऐंठन, दर्द का कंधों और पीठ के ऊपरी भाग में फैलना, सिरदर्द, गर्दन हिलाने से पेन का बढ़ना, खासकर गर्दन, कन्धों और पीठ के ऊपरी भाग में थकान, हाथ में पेन होना, सुन्न होना कमजोरी महसूस करना बोलने, लिखने, चलने और निगलने में कठिनाई महसूस करना ।
सर्वाइकल के असामान्य लक्षण -सिरदर्द, चक्कर आना, उलटी आना, धुंधला दिखना, फीवर, सोते समय अधिक पसीना आना, बिना किसी कारण वजन कम होना अगर आप निम्न लक्षण अनुभव कर रहे हैं, तो जल्दी अपने डॉक्टर से संपर्क करे क्योंकि यह किसी गंभीर लक्षण हो सकते हैं । कंधे या बांह की निचली तरफ तेज़ दर्द, बांह या हाथों का सुन्न होना या उनमें ताकत न रहना सामान्य रूप से मल या मूत्र न कर पाना, पेशाब में दर्द और जलन अपनी ठोड़ी को छाती से न लगा पाना लगातार पेन होना तेज़ दर्द होना दर्द का हाथों व पैरों में फैलना, गर्दन में दर्द, सिरदर्द होना, सुन्न होना, झनझनाहट होना या कमजोरी महसूस करना।
सर्वाइकल के अन्य कारण – गलत Position में बैठना, मोटापा और पेट की मांसपेशियों की कमजोरी के कारण रीढ़ की हड्डी का Balance खराब होता है जिसे सही करने के लिए गर्दन आगे की तरफ झुक जाती है और इससे सर्वाइकल दर्द हो सकता है। हालांकि, सर्वाइकल दर्द अधिकतर मोच के कारण होता है, लेकिन ज़्यादा देर तक दर्द रहना और शरीर के किसी भाग का सही से काम न कर पाना किसी गंभीर समस्या का लक्षण हो सकता है।
किन कारणो से सर्वाइकल दर्द होने की सम्भावना बढ़ जाती है?
गलत तरीके से सोने, बैठने या खड़े होने से गर्दन का अकड़ जाना किसी नस पर अधिक दबाव के कारण उसे नुकसान होना , स्ट्रेस या Emotional Tension से मांसपेशियों में खिंचाव और सिकुड़न हो सकती है, जिससे दर्द व अकड़न होती हैं,रीढ़ की हड्डी का इन्फेक्शन , रीढ़ की हड्डी पर दबाव ट्यूमर, फ्रैक्चर, सिर की चोट आदि।
सर्वाइकल दर्द से कैसे बचा जा सकता है ?
सर्वाइकल दर्द से बचने का सबसे मुख्य तरीका है गर्दन को चोट लगने से बचाना। इसके लिए खेल के दौरान चोट लगने के जोखिम को कम करें। आपको अगर गर्दन में हल्का दर्द या अकड़न है, तो स्थिति और खराब होने से रोकने के लिए निम्नलिखित तरीकों का प्रयोग करें –
- शुरूआती कुछ दिनों के लिए गर्दन पर बर्फ लगाएं और उसके बाद हीटिंग पैड या गर्म पानी की बोतल से सिकाई करें या गर्म पानी से नहाएं।
- दर्द-निवारक दवाएं खाएं।
- कुछ दिनों के लिए न खेलें और वजन उठाने व लक्षणों को बढ़ाने वाले अन्य काम न करें। लक्षणों के ठीक होने के बाद धीरे-धीरे अपने सामान्य काम करना शुरू करें।
- रोज़ाना गर्दन के लिए व्यायाम करें, गर्दन को एक दिशा से दूसरी दिशा और ऊपर नीचे घुमाएं।
- फ़ोन को गर्दन व सिर के बीच रखकर बात न करें।
- लम्बे समय तक एक ही मुद्रा में बैठने और खड़े होने से बचें।
गर्दन की हलकी मसाज लें। - सर्वाइकल दर्द से पीड़ित लोगों के लिए खास तकिए आते हैं, सोने के लिए उनका उपयोग करें।
- गर्दन को सीधा रखने के लिए प्रयोग किए जाने वाले पट्टे का उपयोग बिना डॉक्टर की सलाह लिए न करें। अगर आप उसे ठीक से इस्तेमाल नहीं करते, तो आपके लक्षण और बिगड़ सकते हैं।
- सर्वाइकल दर्द का परीक्षण – Diagnosis of Cervical Pain in Hindi
किस प्रकार होता हे सर्वाइकल दर्द का परीक्षण ?
सर्वाइकल दर्द का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपके लक्षणों के बारे में पूछेंगे। जैसे – लक्षण कब शुरू हुए, उनकी तीव्रता कितनी है और क्या करने से आपके लक्षण बढ़ जाते हैं। आपकी बांह व हाथों की ताकत, गतिविधि करने की क्षमता और महसूस करने की क्षमता को देखने के लिए आपका तंत्रिका सम्बन्धी परीक्षण (Neurological exam) किया जाएगा। गर्दन की जांच उसको स्थिर रखकर व थोड़ा हिलाकर की जाती है। डॉक्टर इस बात की भी जाँच करते हैं कि गर्दन में कहीं छूने से आपको दर्द होता है या नहीं। साथ ही तंत्रिका तंत्र (Nervous system) की जांच भी की जाती है, जिससे यह पता चलता है कि कोई नस प्रभावित हुई है या नहीं।
सर्वाइकल दर्द के लिए कौन-कौन से टेस्ट किए जाते हैं ?
एक्स रे, एमआरआई स्कैन (MRI),सीटी स्कैन (CT scan) अन्य टेस्ट -हड्डियों का स्कैन (Bone scan: हड्डियों की समस्याओं की जांच करने के लिए परीक्षण) इलेक्ट्रोमायोग्राफी, नर्व कंडक्टिव वेलोसिटी टेस्ट लम्बर पंक्चर (Lumbar puncture) या स्पाइनल टैप टेस्ट।
सर्वाइकल का इलाज के निम्न तरीकों से किया जाता है –
सर्वाइकल दर्द ज़्यादातर मोच या मरोड़ के कारण होता है, इसीलिए केमिस्ट के पास मिलने वाली दवाएं और सूजन कम करने वाली दवाएं दर्द को ठीक करने के लिए प्रभावी होती हैं। हालांकि, सर्वाइकल दर्द के कुछ मामले रीढ़ की हड्डी की समस्याओं के कारण भी होते हैं जिनसे लगातार दर्द होता है। इन मामलों के लिए डॉक्टर से उपचार लेने की आवश्यकता होती है।
स्लिप डिस्क या बोन स्पर (Bone Spur: हड्डी का एक नोकीला उभार) के कारण होने वाले सर्वाइकल दर्द के उपचार के लिए सर्जरी की जा सकती है। लेकिन इससे पहले डॉक्टर आपको कुछ अन्य कम गंभीर उपचार करने को कहेंगे, जैसे कुछ ख़ास इंजेक्शन लगाना या मसाज थेरेपी करवाना। इन उपचार को डॉक्टर “कंज़र्वेटिव उपचार” (Conservative treatment) कहते हैं।
अन्य उपचार – ठन्डे या गर्म कपडे से सिकाई, व्यायाम व फिज़िओथेरपी (Physical therapy),गलत आदतें सुधारना, डॉक्टर द्वारा लिखी गई दर्द निवारक दवाएं, कोर्टीसोन (Cortisone: एक तरह की स्टेरॉयड दवा) के टीकेअन्य उपचार -एक्युपंक्चर (Acupuncture) कीरोप्रैक्टिक उपचार (Chiropractic treatment: रीढ़ की हड्डी को मसाज करके ठीक करने की एक प्रक्रिया) मसाज (बॉडी मसाज) अगर कंज़र्वेटिव उपचार से कुछ हफ़्तों या महीनों तक आपको कोई सुधार नहीं होता है, तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।
सर्वाइकल सर्जरी
गर्दन की सर्जरी में ज्यादा चीरे लगाने व त्वचा को काटने की आवश्यकता होती है (Invasive Surgery) जिसके लिए व्यक्ति दो से पांच दिन अस्पताल में रहता है और सर्जरी के बाद उसे ठीक होने में छः महीने से एक साल तक का समय लग जाता है। इसमें सर्जरी में अधिक खतरा होता है, इसीलिए अधिकतर लोग इस सर्जरी को कराने से हिचकिचाते हैं।