जयपुर। राजस्थान में चैत्र नवरात्र पर पिछले वर्ष शुभ मुहूर्त में घर और मंदिरों में कलश (घट) स्थापना के साथ मां दुर्गा की पूजा कर नवरात्र पर्व की शुरुआत की गई थी।
हिन्दू वर्ष के नए साल विक्रमी संवत 2075 पहले दिन लोगों ने नवरात्र की शुरुआत सुबह शुभ मुहूर्त में की। इस दौरान घर-घर एवं मंदिरों में घट स्थापना की गई तथा माता की पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की। इस दौरान लोगों ने उपवास रखकर पहला नवरात्र मनाया।
इस मौके आमेर की शिला माता के मंदिर में घट स्थापना के साथ ही मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की होड़ लग गई। इसी तरह अन्य कई माता के मंदिरों में लोगों ने दर्शन एवं पूजा-अर्चना की।
इस बार अष्टमी और नवमी एक ही दिन होने के कारण नवरात्र आठ दिन के होंगे जो अठारह से 25 मार्च तक मनाये जायेंगे। इस दौरान मां दुर्गा के माता शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि देवी के नौ स्वरूपों की पूजा की जायेगी हैं।
इस अवसर आज जयपुर में शास्त्रीय संगीत की विभूति पद्म विभूषण पण्डित छन्नू लाल मिश्र द्वारा वेद घोष और दीपन पाण्डे के शंखवादन से नव संवत्सर का स्वागत किया गया।
राजस्थान संस्कृत अकादमी और राजस्थान संस्कृत संसद के संयुक्त तत्वावधान में सेन्ट्रल पार्क में नव संवत्सर के शुभ अवसर पर संगीत कार्यक्रम सुर वर्षा का आयोजन किया गया जिसमें पं. मिश्र ने अपनी दिलकश आवाज में वेद घोष कर स्वरों की वर्षा की। उन्होंने ठुमरी-आजा सांवरिया से कार्यक्रम की शुरूआत की।
उन्होंने विशेष तौर पर देवी स्तुति, राग भैरव में भवानी दयानी, कबीर दास की रचना, कैसे सज्जन घर जायेबे, राग बरसन लगी बदरियां (सोहराग) और बनारस की विशेष शिव होली रचनाओं से संगीत रसिकाें को मंत्रमुग्ध किया।
बिहार के दरभंगा से आए पाण्डे ने नव संवत्सर का स्वागत शंखनाद से किया। इससे पहले वेद विद्यार्थियों द्वारा देवघोष से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा.अरूण चतुर्वेदी भी मौजूद थे।