बेंगलूरु। भारत के चंद्रमा पर दूसरे मिशन चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण, जिसे तकनीकी खराबी के कारण 15 जुलाई को टाल दिया गया था, अब 22 जुलाई को किया जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने गुरुवार को बताया कि चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 22 जुलाई को दोपहर बाद दो बजकर 43 मिनट पर किया जाएगा। इससे पहले 15 जुलाई को तड़के दो बजकर 51 मिनट पर इसे लांच किया जाना था लेकिन प्रक्षेपण यान में गड़बड़ी के कारण प्रक्षेपण से एक घंटे पहले उसे टालने का फैसला किया गया था। उस समय मिशन की करीब 19 घंटे की उलटी गिनती पूरी हो गई थी।
चंद्रयान के प्रक्षेपण के लिए जीएसएलवी-एमके3 प्रक्षेपण यान का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह दुनिया का पहला मिशन है जिसमें लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। इस मिशन के मुख्य उद्देश्यों में चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसके जमीन, उसमें मौजूद खनिजों एवं रसायनों तथा उनके वितरण का अध्ययन करना और चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण है। उल्लेखनीय है चंद्रमा पर भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 ने वहां पानी की मौजूदगी की पुष्टि की थी।
इस मिशन में चंद्रयान-2 के साथ कुल 13 स्वदेशी पे-लोड यान वैज्ञानिक उपकरण भेजे जा रहे हैं। इनमें तरह-तरह के कैमरा, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की सटीक दूरी का पता लगाना है।
यह मिशन इस मायने में खास है कि चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा और सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक दुनिया का कोई मिशन नहीं उतरा है।
चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं। ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में चक्कर लगाएगा। लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इसे विक्रम नाम दिया गया है। यह दो मिनट प्रति सेकेंड की गति से चंद्रमा की जमीन पर उतरेगा। प्रज्ञान नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा।