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Changes in the geography and history of India with the formation of Union Territory of Jammu-Kashmir and Ladakh - Sabguru News
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जम्मू कश्मीर में आजादी की नई सुबह, भारत का भी बदला इतिहास और भूगोल

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जम्मू कश्मीर में आजादी की नई सुबह, भारत का भी बदला इतिहास और भूगोल
Changes in the geography and history of India with the formation of Union Territory of Jammu-Kashmir and Ladakh
Changes in the geography and history of India with the formation of Union Territory of Jammu-Kashmir and Ladakh
Changes in the geography and history of India with the formation of Union Territory of Jammu-Kashmir and Ladakh

जयपुर। आज 31 अक्टूबर को देश के लिए ऐतिहासिक दिन है। जम्मू कश्मीर आज अपनी आजादी की नई सुबह देख रहा है। जम्मू कश्मीर और लद्दाख आज से केंद्र शासित प्रदेश बनने से भारत के भूगोल और इतिहास में भी परिवर्तन हाे गए। देश के नक्शे से एक राज्य गायब हो गया। इसके साथ ही कश्मीर में कई कानून भी लागू हो गए।

केंद्र की मोदी सरकार के 5 अगस्त को कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से ही इसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई थी, जो आज जाकर पूरी हुई है। आज पूरा देश सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती भी बना रहा है। भारत की आजादी के बाद सरदार पटेल की कई रियासतों को भारतीय गणराज्य में शामिल करवाने में मुख्य भूमिका थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुजरात के केवड़िया में प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी से सरदार पटेल जयंती समारोह के दौरान बोलते हुए जम्मू कश्मीर के लोगों और देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं।

इस मौके पर देश के कई शहरों में एक दौड़ का भी आयोजन किया गया। केंद्र सरकार के द्वारा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर सहित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित घोषित करने वाला राजपत्र जारी कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बना है, साथ ही साथ इसका पुनर्गठन भी हो गया है।

गिरीश चंद्र मुर्मू जम्मू-कश्मीर के और राधा कृष्ण माथुर लद्दाख के उपराज्यपाल बने

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के पहले उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू बनाए गए हैं। उन्होंने आज उप राज्यपाल पद की शपथ ली। वह भारतीय प्रशासनिक सेवा गुजरात काडर के 1985 बैच के अधिकारी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब गिरीश चंद उनके प्रधान सचिव रह चुके हैं।

गुजरात में वह और भी कई प्रमुख प्रशासनिक पदों पर रहे थे। मुर्मू जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल बनाए जाने से पहले वित्त मंत्रालय में विभाग के सचिव भी थे। गिरीश चंद्र पीएम मोदी के चहेते अफसर कहे जाते हैं। ऐसे ही राधा-कृष्ण माथुर लद्दाख के उपराज्यपाल बनाए गए हैं। उन्होंने भी आज शपथ ली।

भारतीय प्रशासनिक सेवा के त्रिपुरा काडर के 1977 बैच के रिटायर हैं अधिकारी हैं। माथुर नवंबर 2018 में मुख्य सूचना आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। वह रक्षा सचिव, सूक्ष्म, लघु मध्यम उद्योग सचिव और त्रिपुरा के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं। राधा-कृष्ण कपड़ा मंत्रालय में विकास आयुक्त और मुख्य प्रवर्तन अधिकारी और वित्त और कृषि मंत्रालय में प्रधान सचिव भी रहे थे।

आज से जम्मू कश्मीर में यह किए गए हैं बदलाव

अब तक पूर्ण राज्य रहा जम्मू-कश्मीर गुरुवार यानी 31 अक्टूबर से दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बदल गया।जम्मू-कश्मीर का इलाका अलग और लद्दाख का इलाका अलग-अलग दो केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं। जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन कानून के तहत लद्दाख अब बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश और जम्मू-कश्मीर विधानसभा सहित केंद्र शासित प्रदेश बन गया है।

अब तक जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल पद था लेकिन अब दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में उप-राज्यपाल होंगे। जम्मू-कश्मीर के लिए गिरीश चंद्र मुर्मू तो लद्दाख के लिए राधा कृष्ण माथुर को उपराज्यपाल बनाया गया है। अभी दोनों राज्यों का एक ही हाईकोर्ट होगा लेकिन दोनों राज्यों के एडवोकेट जनरल अलग होंगे। सरकारी कर्मचारियों के सामने दोनों केंद्र शासित राज्यों में से किसी एक को चुनने का विकल्प होगा।

राज्य में अधिकतर केंद्रीय कानून लागू नहीं होते थे, अब केंद्र शासित राज्य बन जाने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों राज्यों में कम से कम 106 केंद्रीय कानून लागू हो पाएंगे ।इसमें केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ केंद्रीय मानवाधिकार आयोग का कानून, सूचना अधिकार कानून, एनमी प्रॉपर्टी एक्ट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से रोकने वाला कानून शामिल है।

जमीन और सरकारी नौकरी पर सिर्फ राज्य के स्थाई निवासियों के अधिकार वाले 35-ए के हटने के बाद केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में जमीन से जुड़े कम से कम 7 कानूनों में बदलाव होगा। राज्य पुनर्गठन कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के करीब 153 ऐसे कानून खत्म हो जाएंगे, जिन्हें राज्य के स्तर पर बनाया गया था। हालांकि 166 कानून अब भी दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू रहेंगे।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार