अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद की एक अदालत में आज राजद्रोह के एक मामले में पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के नेता हार्दिक पटेल, उनके पूर्व सहयोगी दिनेश बांभणिया और चिराग पटेल के खिलाफ आज आरोप गठन की कार्रवाई की गई।
वर्ष 2015 में 25 अगस्त को यहां जीएमडीसी मैदान में हार्दिक की अगुवाई में हुई आरक्षण रैली के बाद राज्यभर में हुई हिंसा में कई बसें, सरकारी संपत्ति, पुलिस चौकियों को आग लगा दी गई थी। इस दौरान एक पुलिसकर्मी समेत एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत भी हुई थी।
अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उसी साल 21 अक्टूबर को उक्त तीनों के अलावा केतन पटेल, अल्पेश कथिरिया और अमरीश पटेल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह), 121 ए (चुनी हुई सरकार को पलटने का प्रयास) तथा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) और अन्य धाराओं के तहत यह मामला दर्ज किया था। केतन पटेल सरकारी गवाह बन गए थे।
कथिरिया को गत अगस्त माह में पकड़ा गया था और आज इस मामले में हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद वह सूरत में राजद्रोह के एक अन्य मामले में पुलिस के कब्जे में हैं।
राजद्रोह के इस मामले में जनवरी 2016 में पुलिस ने 2700 पन्ने का आरोप पत्र दायर किया था। उसके बाद से ही आरोप गठन की कार्रवाई तीनो आरोपियों के एक साथ अदालत में हाजिर नहीं रहने अथवा अन्य तकनीकी कारणों से नहीं हो पा रही थी।
गत दो नवंबर को अदालत ने पेश नहीं होने पर दिनेश के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया था और आज सुबह ही पुलिस ने उन्हें उनके घर से गिरफ्तार कर पेश किया। उन्हें 25 हजार के मुचलके और तीन हजार दंड देने पर जमानत दे दी गई।
उन्होंने आरोपमुक्ति की एक अन्य अर्जी दी है जिस पर सुनवाई अगली तिथि 29 जनवरी को इस मामले के साथ ही होगी। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश डी पी माहिडा की अदालत में अभियोजन पक्ष ने 18 पन्ने वाले आरोप पढ़ कर तीनों अभियुक्तों को सुनाए और आरोप गठन की प्रक्रिया पूरी हो गई। तीनों ने आरोपों से इंकार किया।
सरकारी वकील सुधीर ब्रह्मभट्ट ने बताया कि आरोपी आरोपों से संबंधित कागज पर हस्ताक्षर करने में आनाकानी कर रहे थे पर जज के सख्त रवैया अपनाने पर उन्होंने ऐसा कर दिया। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी अारोपी अदालत में एक साथ पेश न होकर आरोप गठन को टालते रहे थे।
आरोप गठन के बाद हार्दिक ने कहा कि उन्हें न्यायिक प्रक्रिया पर विश्वास है और वह जरूरत पड़ने पर आगे हाई और सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। ज्ञातव्य है कि अदालत इस मामले में उनकी आरोपमुक्ति की अर्जी को पहले ही खारिज कर चुकी है।