जयपुर । इतिहास गवाह है कि ऐसा कोई भी व्यवसाय जिसने सामुदायिक सेवा को अपने मूल में रखा है वह हमेशा सफल रहा है और यही सबसे टिकाऊ व्यवसाय मॉडल है। आज के कारोबारी माहौल में, किसी भी व्यवसाय के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह समाज की बेहतरी के लिए व्यावसायिक लक्ष्यों के साथ हाथ मिलाए। चाल्र्स हैंडी, जो एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर बिजनेस थिंकर हैं, जयपुर रग्स के व्यवसाय मॉडल का अध्ययन करने के लिए भारत का दौरा कर रहे हैं, जो टिकाऊ व्यापार मॉडल वाले उनके व्यापार दर्शन के साथ मेल खाता है।
हैंडी वैश्विक स्तर पर सबसे सम्मानित व्यवसायिक विचारकों में से एक हैं और ऑर्गनाइजेशन-कल्चर के विशेषज्ञ माने जाते हैं। 2011 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड हासिल कर चुके हैंडी को 2001 में थिंकर्स 50 की सूची (सबसे प्रभावशाली रहने वाले प्रबंधन विचारकों की एक निजी सूची) में दूसरे स्थान पर रखा गया था। उन्हें अपनी तरह के पहले सर्वेक्षण वल्र्ड मैनेजमेंट गुरु में दूसरे स्थान पर रख गया था, यहां तक कि बिजनेस आइकन बिल गेट्स और रिचर्ड ब्रैनसन तक इस सूची में क्रमशः 9 वें और 29 वें स्थान पर रखे गए।
चाल्र्स हैंडी ने बिजनेस लीडर्स को संबोधित करते हुए कहा कि जयपुर रग्स का बिजनेस मॉडल बॉटम-अप सिस्टम पर काम करता है जो कि जम़ीनी स्तर के शिल्पकारों से जुड़ा है जबकि अन्य कपंनियों का बिजनेस मॉडल टॉप- बॉटम सिस्टम में काम करता है. जोकि कंपनी की सफलता के साथ समावेशी विकास की पंरपरा को दर्शाता है और यही समावेशी विकास का मंत्र भी है।
जयपुर रग्स भारत के 600 गांवों में 40,000 से अधिक कारीगरों के साथ काम करते हुए उनके परिवारों को घर बैठे स्थायी आजीविका का मौका उपलब्ध करवाता है। गरीब समुदायों की आजीविका के साथ मौजूदा डिजाइनों को जोड़ते हुए जयपुर रग्स बुनकरों की कला को सीधे घरों में लाता है और इस तरह जयपुर रग्स के बनाए गलीचे सिर्फ गलीचे न होकर एक समूचे परिवार की आशीष की तरह है।
जयपुर रग्स के बिजनेस मॉडल का अध्ययन करने के लिए हैंडी ने नंद किशोर चौधरी के साथ राजस्थान के विभिन्न गांवों में कारीगरों के कार्यस्थलों का दौरा किया। एक स्थायी व्यवसाय मॉडल के निर्माण को लेकर हैंडी ने नंद किशोर चैधरी के साथ उद्योग के 100 से अधिक लीडर्स को संबोधित किया और बताया कि सफल व्यवसायों के निर्माण का यही भविष्य है।
जयपुर रग्स एक सामाजिक उद्यम है जिसने बिचैलियों को खत्म करने और कारीगरों के लिए मजदूरी सुनिश्चित करने की दिशा में काम किया है। गलीचा बुनाई की मृतप्रायः कला को पुनर्जीवित करना और इसके जरिए सामुदायिक रिश्ते बनाना कंपनी के व्यापार दर्शन के मूल में है। हर कालीन के पीछे एक बुनकर की कहानी है और लोग जितनी भी बार इन गलीचों के संपर्क में आते हैं, इससे जुड़ी बुनकरों की भावनाओं को महसूस करते हैं। कंपनी बुनकर और शहरी उपभोक्ताओं के बीच खाई को जमीनी स्तर पर पाटने में सफल रही है। जयपुर रग्स का काम हैंडी के उस व्यापार दर्शन के पूरी तरह अनुकूल है, जिसकी पैरवी वे अपने पूरे जीवन करते आए हैं।
हैंडी के विचारों को 1990 में रॉयल सोसाइटी फॉर आट्र्स, लंदन में दिए गए उनके एक व्याख्यान से समझा जा सकता है, जहां ’कंपनी किसके लिए है?’ के जवाब में उन्होंने कहा, ’एक कंपनी को एक समुदाय, एक ऐसा समुदाय जो एक गांव की तरह हो। गांव किसी एक का नहीं होता। सब उसके निवासी और सदस्य होते हैं, सबके पास अधिकार होते हैं। यहां शेयरधारक फाइनेंसर होंगे और जो जोखिम होगा, उसका नतीजा उन्हें भुगतना होगा लेकिन उन्हें मालिक नहीं कहा जाएगा और श्रमिक, श्रमिक नहीं होंगे, वे नागरिक होंगे, और उनके पास अधिकार होंगे। उन अधिकारों में उनके द्वारा बनाए गए मुनाफे का एक हिस्सा भी शामिल होगा।’