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चेटीचण्ड महापर्व : लाडों से जीवंत हुई सिंधी संस्कृति, व्यंजनों का आनंद

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चेटीचण्ड महापर्व : लाडों से जीवंत हुई सिंधी संस्कृति, व्यंजनों का आनंद

अजमेर। पूज्य झूलेलाल जयन्ती समारोह समिति के संयोजन में चेटीचण्ड महापर्व पखवाड़े के 19वें दिन सिन्धी समाज महासमिति की ओर से स्वामी कॉम्पलेक्स रसोई बैंकवट हॉल में सिन्धी लाडा, गीत सिन्धी ताम (व्यंजन) नाश्ता, खाना और मिठाई की प्रतियोगिताएं में मसाले का तालमेल व प्रस्तुतीकरण को निर्धारित कर चयनित किए गए व सिन्धी भाषा मान्यता की पूर्व संध्या पर संगोष्ठी आयोजित की गई।

महासमिति अध्यक्ष कंवल प्रकाश किशनानी ने कहा कि हमने इस समारोह में सिन्धी भाषा की मान्यता दिवस, सिन्धी संस्कृति, सभ्यता, सिन्धी व्यंजन, खान-पान, गीत, नृत्य, बोली, वेशभूषा को जीवित रखते हुए अनेकों कार्यक्रम सिन्धी समाज के प्रत्येक वर्ग में रहने वाले बन्धुओं को जोडने का प्रयास किया है।

मातृभाषा के ज्ञान से ही संस्कार जुडेंगे : तीर्थाणी

सिन्धु भाषा मान्यता दिवस की पूर्व संध्या की आयोजित संगोष्ठी में वक्ता के रूप में भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने बताया कि संविधान की आठवीं अनुसूची में 10 अप्रेल 1967 चेटीचण्ड के दिन में सिन्धी भाषा को 21वीं भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त हुई थी। हमें मातृभाषा के ज्ञान के लिए बाल संस्कार शिविर व केन्द्र निरंतर चलाकर विद्यार्थियों को जोडने का कार्य करना है। विद्यार्थियों को सिन्धी भाषा लेकर प्रशासनिक पदों के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं में सम्मिलित हों।

अजमेर सिन्धी सेन्ट्रल महासमिति के महासचिव गिरधर तेजवाणी ने कहा कि अजमेर में प्राथमिक स्तर से स्नातकोतर तक सिन्धी विषय की पढाई कराई जाती है और एसटीसी में सिन्धी विषय लेकर विद्यार्थी डिग्ग्री लेकर राजकीय सेवा में जुड रहे हैं और राज्य सरकार से महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में शीघ्र ही शोध पीठ भवन का निर्माण करवाने की भी मांग की जिससे देशभर के विद्यार्थी जुड रहे हैं।

कार्यक्रम संयोजक प्रेम केवलरामाणी ने बताया कि सिन्धी व्यंजन व लाडा प्रतियोगिता में करीब 50 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। लाडा प्रतियोगिता में 9 साल की बच्ची से लेकर 70 साल की बुजुर्ग महिलाओं ने भाग लिया। परम्परागत लाडो की प्रस्तुति से सिंधी संस्कृति जीवंत हो उठी।

सिन्धी लादा प्रतियागिता

दीपक साधवाणी ने बताया कि जूही लखवाणी ग्रुप ने लै घोडा कोन लथा पेट जो सूर…., पूनम छबलाणी ग्रुप सोन जो रूपयो अला री अला…., रेखा खेमाणी गु्रप भारती रामचंदाणी ग्रुप ने सिन्धी लादा पर सभी को झुमाया।

सिन्धी गीत प्रतियोगिता

सिन्धी एकल गीत 15 वर्ष तक में कल्पिता कलसी सिन्धी बोली मुहिंजी…. व स्नेहा रायचंदाणी शुकराना लाल झूलेलाल … एवं सिन्धी एकल गीत 15 वर्ष से उपर में अरूण कुमार तिलोकाणी नाले अलख जे बे्डो तार मुंहिजो…, हेमा हीराणी सिन्धी अबाणी बोली…., सोनी राजेश भागवाणी झूलेलाल तुहिंजी महिंमा सिन्धुडी सजी थी…., सती हरवाणी, चन्दा थदाणी, केजे ज्ञानी, मीना ख्यालाणी, प्रकाश जेठरा, मीना चंदनाणी ने अपनी एकल गीत में सुन्दर प्रस्तुतियां दी।

नेरणि (नाश्ता) खाधो (खाना) मिठो (मिठाई) प्रतियोगिता

सिन्धी नेरणि (नाश्ता) में कोकी, दही, कचरीयां, सिवईयां आलू, दाल पकवान, सूजी का हलवा, मिर्ची फ्राई, फुलके जी कुट्टी एं पापड़ दोपहर व रात्री के समय खाना (खाधो) में मिक्स सेअल भाजी, भीह जी भाजी, फुलको, साही बसर में बेसन जी टिक्कीयूं एं साई थूम वारी मकई जी रोटी, सुहांजडे़ जो रायतो एं चिलडे़ जी भाजी, मैथी पुलाव, ताहिरी एं छोला, बेसन जी टिक्की बनाकर मसालों का तालमेल मीठे में खोराक़, सिन्धी साटा एं ओती ड्राई फ्रुट जी, माजून एं काजू फ्राई, चौथा सिन्धी, गोन्द पाक़, पलंग तोड़ मिठाई में भाग लेने वालों में भारती रामचंदाणी,चन्दा थदाणी, दीपा गुरनाणी, हर्षा झामनाणी, जीया छबलाणी, कल्पना चंदाणी, कविता कोटाई, मीना खियालाणी, मन्जू शर्मा, नन्दा रूपाणी, निशा चोटराणी, निशा झामनाणी, पायल गुरनाणी, रितु मोतीरामाणी, रोमा इन्द्रकुमार, संतोष शिवनाणी, सुनीता झामनाणी, सत्या झामनाणी, हीना मंघनाणी, हिरत मंघनाणी, मोनिका दरियानाणी ने बनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम में सिन्धी ताम निर्णायकों में दिशा किशनानी, मुस्कान जसूजाणी, हेमा साधवाणी, ज्योति चांदवाणी, लादा व गीत प्रतियोगिता में के.जे. ज्ञानी, घनश्याम भगत, लता ठारवाणी ऋतु मोतीरामाणी ने भूमिका अदा की। विजेताओं को मंगलम एजेंसी द्वारा आकर्षक पुरस्कार वितरित किए गए।

इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ ईष्टदेव झूलेलाल, स्वामी हृदयाराम जी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया गया। स्वागत भाषण महासचिव हरी चंदनाणी व आभार प्रकाश हिंगोराणी ने प्रकट किए। मंच संचालन निर्मला लखवाणी ने किया। समारोह में नरेन शाहणी भगत, हरीश झामनाणी, एमटी वाधवाणी, जगदीश अबिचंदाणी, राधाकिशन आहूजा, रमेश टिलवाणी, प्रकाश जेठरा, नारायणदास थदानी,शकुंतला अछरिया, राम मटाई, सहित समाज के महिला पुरूष उपस्थित थे।