जयपुर। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनिया ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ कांग्रेस के प्रदर्शन और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि गहलोत जनता को भ्रमित करके मोदी सरकार के खिलाफ भड़काकर संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन कर रहे हैं।
डाॅ. पूनियां ने आज यहां जारी बयान में कहा कि संविधान की शपथ लेकर सरकार चला रहे गहलोत संसद द्वारा पारित कानून को सड़क पर उतर कर चुनौती दे रहे हैं, यह डाॅ. अंबेडकर के बनाए भारत के संविधान का अपमान है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बार-बार कह चुके हैं कि यह कानून नागरिकता देने का है किसी की भी नागरिकता लेने का नहीं।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में राज्यसभा में तत्कालीन विपक्ष के नेता की हैसियत से डाॅ. मनमोहन सिंह तब की सरकार से इन विस्थापितों को प्राथमिकता के आधार पर नागरिकता देने की वकालत कर चुके हैं।
खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यूपीए सरकार के गृहमंत्री पी. चिदम्बरम को राजस्थान में रह रहे हिंदू-सिख शरणार्थियों को नागरिकता देने का पत्र लिख चुके हैं, लेकिन अब वोट बैंक के तुष्टिकरण और गांधी परिवार को खुश करने के लिए सीएए का विरोध कर रहे हैं।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि यह राजस्थान की जनता का दुर्भाग्य है की उनका चुना हुआ मुख्यमंत्री देश की भावनाओं के खिलाफ बात कर रहा है। धर्म के आधार पर देश के दुर्भाग्यपूर्ण बंटवारे से उपजी एक गम्भीर समस्या जिसकी वजह से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में लाखों अल्पसंख्यक लोगों की हत्या हुई, जबरन धर्मान्तरण किया गया और उनकी बहन-बेटियों की अस्मत लूटी गई। इस्लामिक देश पाकिस्तान में विभाजन के समय हिंदुओं और बाकी अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी जो अब डेढ़ प्रतिशत रह गई है, यही हाल बाकी दोनों देशों का है।
उन्होंने कहा कि इनके जान-माल की रक्षा का वादा तब की सरकार के कांग्रेस के नेताओं ने किया था, पर सत्ता का सुख भोगते इन लोगों ने उन मरते लोगों की सुध कभी नहीं ली। अब जब सरकार उन्हें नागरिकता देकर इस देश की मूल परम्परा का पालन कर रही है तो इन कांग्रेस के नेताओं के पेट मे दर्द हो रहा है।