चंडीगढ़ | ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने पंजाब व हरियाणा समेत सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से आज अपील की कि बिजली संशोधन विधेयक 2021 पर बिजली कर्मचारियों व उपभोक्ताओं समेत तमाम संबंधित वर्गों की टिप्पणियों व सुझाव देने के लिए मसौदे को सार्वजनिक करने के बाद तीन महीने का समय मांगें।
एआईपीईएफ के प्रवक्ता विनोद गुप्ता ने यहां जारी बयान में कहा कि संगठन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने इस संदर्भ में मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है, जिसकी प्रतियां राज्यों के ऊर्जा प्रधान सचिवों व बिजली वितरण कंपनियों के अध्यक्षों को भी भेजी गई हैं। पत्र में उनसे यह मुद्दा कल (बुधवार को) होने जा रही केंद्रीय आर के सिंह ऊर्जा मंत्री के साथ वर्चुअल बैठक में उठाने को कहा गया है। बैठक का एजेंडा बिजली अधिनियम, 2003 में प्रस्तावित संशोधनों पर चर्चा करना है।
श्री गुप्ता ने बताया कि संशोेधन सिर्फ राज्यों के ऊर्जा सचिवों और बिजली वितरण कंपनियों के प्रमुखों को भेेजे गये हैं। जबकि उपभोेक्ताओं, बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की पूरी तरह से अनदेखी की गई है। यहां तक कि केंद्रीय बिजली प्राधिकरण, राज्य बिजली नियमन आयोग, केंद्रीय बिजली नियमन आयोग, नियामकों के फोेरम आदि संस्थाओं से भी टिप्पणियां नहीं मंगाई गई हैं।
एआईपीईएफ के अनुसार बिजली विधेयक 2020 का कड़ा विरोध हुआ था। दो विधेयकों पर समानांतर चर्चा से भ्रम फैलने की आशंका के कारण पहले पिछलेे साल का विधेयक वापस लेना चाहिए औैर इस साल के विधेयक पर समुचित चर्चा कराई जानी चाहिए जैसा कि ऊर्जा मंत्री ने कहा था, “विधेेयक को सभी संबंधित पक्षों से मशविरे के बाद अंतिम रूप् दिया जाएगा।“
श्री गुप्ता ने कहा कि होना तो यह चाहिए था कि बिजली अधिनियम 2003 के प्रदर्शन की समीक्षा होती लेकिन उसके विपरीत कुछ वर्गों के हितों के लिए बिना समुचित विचार, चर्चा के कानूनी संशोधन किये जा रहे हैं जिससे के अच्छा कम और नुकसान ज्यादा होगा। विधेयक पर सार्वजनिक रूप से और संसद में भी पर्याप्त चर्चा हो रही है।