रांची 22 नवंबर :- झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने संसद और विधायिका को लोकतंत्र का आधार स्तंभ बताया और कहा कि इन संस्थाओं को मजबूत बनाये रखने का दायित्व सांसदों को और विधायकों का है।
श्री दास ने यहां राज्य के विधानसभा के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि संसद और विधायिका लोकतंत्र के आधार स्तंभ हैं। सांसदों तथा विधायकों का दायित्व यह सुनिश्चित करना है कि यह संस्थाएं मजबूत बनी रहे क्योंकि इन में किसी प्रकार की कमजोरी आने से संसदीय प्रणाली के प्रति लोगों की आस्था में कमी आएगी। उन्होंने कहा, “भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में जाना जाता है। हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि आजादी के बाद से हम इसके लोकतांत्रिक स्वरूप को बरकरार रखने में सफल रहे हैं।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुशासन तथा मर्यादा संसदीय लोकतंत्र का आधार है। दूसरों को सुनना तथा सुनने देना, प्रस्ताव रखना तथा विपक्ष को अपना पक्ष प्रस्तुत करने देना, जोरदार बहस करना लेकिन साथ ही दूसरों के नजरिए का भी भरपूर ध्यान रखना संसदीय प्रक्रिया के मूल तत्व हैं। उन्होंने कहा कि सभी का ऐसा प्रयास होना चाहिए कि आने वाले समय में ऐसा विधानसभा बने, जहां शालीनता से संसदीय परंपराओं के निर्वाह से चलने वाला विधानसभा यदि देश में कोई हो तो वह झारखंड विधानसभा हो।
श्री दास ने कहा कि झारखंड वीरों की भूमि है। स्वतंत्रता आंदोलन का सबसे पहला अलख गरीब, आदिवासी पुरखों ने भगवान बिरसा मुंडा की धरती से शुरु किया था। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने तय किया है कि भगवान बिरसा मुंडा जिस जेल में बंद थे, वहां भगवान बिरसा मुंडा की आदमकद मूर्ति ही नहीं बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन में जितने भी शहीद, चाहे वो आदिवासी हों, पंडित गनपत राय हो, मेंहदी राजा हो, शेख भिखारी हो, सभी की मूर्ति लगायी जाएगी ताकि आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिल सके।