नई दिल्ली। सरकार ने प्रवासी भारतीय और भारतीय मूल के व्यक्तियों के लिए भारत में बच्चा गोद लेने के बाद दो वर्ष तक यहां रहने की बाध्यता समाप्त कर दी है।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सूत्रों ने मंगलवार को यहां बताया कि केंद्रीय दत्तक स्रोत प्राधिकरण (कारा) के इससे संबंधित प्रावधानों में बदलाव कर दिया गया है।
कारा के प्रावधानों के अनुसार गोद लेने की प्रक्रिया में भारतीय, प्रवासी भारतीय और भारतीय मूल के निवासियों को एक समान माना जाएगा। इसके बाद बच्चा गोद लेने के बाद किसी भी प्रवासी भारतीय और भारतीय मूल के व्यक्ति को दो वर्ष तक देश में रहने की बाध्यता समाप्त हो जाएगी।
सूत्रों ने बताया कि हालांकि बच्चों को गोद देने के बाद उनकी दो वर्ष तक निगरानी की व्यवस्था जारी रहेगी। भारत से बाहर जाने वाले प्रवासी भारतीयों और भारतीय मूल के व्यक्तियों की निगरानी भारतीय दूतावासों और उच्चायुक्तों के माध्यम से की जाएगी।
उन्होंने बताया कि हिन्दू विवाह अधिनियम में शामिल होने वाले हिन्दू, सिख, बौद्ध एवं जैन समुदाय के लोगों को गोद लिए गए बच्चों को विदेश ले जाने के लिए अदालत से अनुमति लेने की जरुरत नहीं होगी। इसके लिए उन्हें कारा से अनापत्ति प्रमाणपत्र हासिल करना होगा।
सूत्रों के अनुसार गोद देने के लिए एक नई प्राथमिकता जोड़ी गई है। बच्चों को उन्हीं के सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश में गोद देने की प्राथमिकता दी जाएगी।
एक अन्य सवाल के जवाब में सूत्रों ने कहा कि कोविड महामारी से प्रभावित बच्चों की देखभाल के लिए सरकार विशेष व्यवस्था कर रही है। सरकार ने ऐसे बच्चों के लिए एक विशेष योजना की घोषणा की है। जिनके माता-पिता महामारी में मारे गए हैं, उनको वित्तीय मदद दी जाएगी। ऐसे बच्चों के बैंक खाता में जिला अधिकारियों को शामिल किया जाएगा।