अजमेर। राजस्थान में अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के तहखाने में स्थापित बाबा फरीद गंज-ए-शक्कर का चिल्ला आज तड़के जियारत के लिए खोल दिया गया।
मोहर्रम के मौके पर इस्लामिक चार तारीख को तड़के चार बजे यह चिल्ला महज साल में एक बार 72 घंटों के लिए खोला जाता है, जिसे मोहर्रम की सात तारीख को बंद कर दिया जाएगा। चिल्ला खुलने के साथ ही बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने बाबा फरीद की मजार पर मखमली चादर एवं गुलाब के फूल पेश कर अमनो अमान, खुशहाली एवं तरक्की की दुआ की।
गौरतलब है कि बाबा फरीद की मजार पर चीनी चढ़ाए जाने की परंपरा है इसलिए इनका नाम शक्कर से जुड़ा हुआ है। बाबा फरीद का मजार पाकिस्तान स्थित पाक पट्टन में है जहां मोहर्रम की पांच तारीख को उर्स मनाया जाता है। इस मौके पर अजमेर स्थित चिल्ले को भी जियारत के लिए खोला जाता है।
बाबा फरीद ने अजमेर में रहकर दरगाह शरीफ स्थित तहखाने में चालीस दिन तक इबादत की थी। उसके बाद उनके इंतकाल के बाद तहखाने में ही चिल्ला बना दिया गया और आज देश दुनिया में उनके हजारों मुरीद है।
मोहर्रम के दौरान ख्वाजा साहब की महाना छठी भी छह सितंबर को पड़ेगी। इस मौके पर छठी के साथ जुम्मा पड़ने से अजमेर दरगाह शरीफ में सामूहिक नमाज भी अदा की जाएगी।